5 से 10 साल का वक्त लगेगा : उन्होंने कहा कि एकसाथ चुनाव को पूरी तरह से लागू करने में 5 से 10 साल का वक्त लग सकता है। जब 2029-2030 में या उसके बाद यह प्रस्ताव पूरी तरह से लागू हो जाएगा तो मतदाताओं को हर साल एक या दूसरे चुनाव के लिए मतदान केंद्रों पर नहीं जाना पड़ेगा। इससे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर मौजूदा 7.23 प्रतिशत से 1.5 प्रतिशत तक और बढ़ जाएगी।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' प्रस्ताव पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल को याद किया, जब उन्होंने विभिन्न दलों के प्रतिनिधिमंडलों और निर्वाचन आयोग के अधिकारियों एवं अन्य लोगों से मुलाकात की थी।
कोविंद ने गरीबों, दलितों और पिछड़ी जातियों की सराहना की : कोविंद ने गरीबों, दलितों और पिछड़ी जातियों से संबंध रखने वाले श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे देश को संभाल रहे हैं। वे संस्कृति के सुंदर स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं और अपनी स्वदेशी संस्कृति को संरक्षित करके भारत की गरिमा को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्र निर्माण में भागीदार होने का उन्हें एहसास कराना होगा। हमें उन्हें इस सभागार में कार्यवाही और हमारे भाषणों को सुनने के लिए बुलाना होगा। जब हम इस समावेशिता को वास्तविकता बना देंगे तो राष्ट्र वास्तव में प्रगति करेगा। 'एक राष्ट्र एक चुनाव' जैसे प्रस्तावों के साथ यह पहले से ही उस दिशा में आगे बढ़ रहा है।(भाषा)