घटना के समय महिला नाबालिग थी और बाद में उसने एक बच्चे को जन्म दिया। उसने पूर्व पादरी को जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया है। रोबिन वडक्कुमचेरी को 2019 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत ने दोषी ठहराया था। इसके बाद महिला अपने बयान से पलट गई और दावा किया कि दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे।
केरल उच्च न्यायालय ने वडक्कुमचेरी की एक याचिका को ठुकरा दिया जिसमें उसने पीड़िता से शादी करने के लिए जमानत का अनुरोध किया था। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष कि बलात्कार के समय पीड़िता नाबालिग थी, अब भी लागू है और आरोपी की दोषसिद्धि के खिलाफ अपील अभी भी उसके समक्ष लंबित है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि निचली अदालत के फैसले के बरकरार रहने पर पक्षकारों को शादी करने की इजाजत देने का मतलब शादी को न्यायिक मंजूरी देना होगा।
शीर्ष अदालत ने 13 जुलाई 2018 को कोट्टियूर बलात्कार मामले में नाबालिग और तत्कालीन कैथोलिक पादरी से जुड़े आरोपों को 'बहुत गंभीर' करार दिया था। न्यायालय ने मामले की सुनवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। वडक्कुमचेरी के अलावा पुलिस ने तब 2 डॉक्टरों और अस्पताल के एक प्रशासक को पॉक्सो कानून के प्रावधानों के तहत अपराध को कथित रूप से छिपाने, नाबालिग बलात्कार पीड़िता के संपर्क में आने के बाद भी पुलिस को इसकी सूचना नहीं देने तथा सबूत नष्ट करने के लिए मामला दर्ज किया था। पीड़िता ने अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था और वह उनकी देखरेख में थी।(भाषा)