लोकसभा चुनाव से पहले बना 19 महीने पुराना विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन अब दिल्ली विधानसभा में टूट के कगार पर पहुंच गया है। INDIA गठबंधन के अहम सहयोगी और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इंडिया गठबंधन को खत्म कर देना चाहिए। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर विपक्ष एकजुट नहीं है, तो INDIA अलायंस को खत्म कर देना बेहतर रहेगा। उमर अब्दुल्ला के इस बयान के बाद इंडिया गठबंधन पर सवालिया निशान लग गए है। वहीं महाराष्ट्र में शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे की भाजपा से बढ़ती नजदीकी भी सियासी गलियारों में चर्चा में है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में टूटा गठबंधन!-वर्तमान में दिल्ली विधानसभा चुनाव चल रहे है जहां पर इंडिया गठबंधन टूट चुका है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस आमने सामने चुनाव लड़ रही है और दोनों ही दलों के नेता एक दूसरे पर निशाना साध रहे है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने INDIA अलायंस के तहत दिल्ली की 7 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ा था, और चुनाव में गठबंधन की बुरी तरह हार हुई थी और भाजपा ने सभी सात सीटें जीत ली थी। वहीं अब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि दिल्ली का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच है, इसमें INDIA अलायंस का कोई रोल नहीं है। वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के दूसरे सहयोगी समाजवादी पार्टी और टीएमसी भी आम आदमी पार्टी के साथ नजर आ रही है।
चुनाव दर चुनाव बिखरता INDIA गठबंधन-अगर देखा जाए तो भले ही विपक्षी गठबंधन ने इंडिया नाम देकर पूरे देश में एकजुटता का प्रदर्शन किया हो लेकिन लोकसभा चुनाव मे देश की 543 लोकसभा सीटों में से करीब 300 से अधिक सीटों पर अलग-अलग चुनाव लड़ा जिसका सीधा फायदा चुनाव में भाजपा और NDA गठबंधन को हुआ। लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए भले ही विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन बना लिया हो लेकिन गठबंधन जमीन पर हमेशा से कमजोर नजर आया। इंडिया गठबंधन में शामिल ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने अकेले बंगाल में चुनाव लड़ी। इस तरह इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का पंजाब जैसे बड़े राज्यों में अलग-अलग चुनाव लड़ने का फायदा भी भाजपा को मिला।
नेतृत्व पर मतभेद बिखराव का कारण- इंडिया गठबंधन के बिखराव की बड़ी वजह गठबंधन को लेकर नेतृत्व की लड़ाई है। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व सौंपने की मांग का सर्मथन जिस तरह से शरद पवार के साथ उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी ने किया वह बड़ी टूट को दिखाता है। शरद पवार ने कहा है कि ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। शरद पवार ने कहा कि नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता है और ममता बनर्जी ही वह नेता हैं जिन्होंने बार-बार नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के प्रयासों को नाकाम किया है। ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने का समर्थन शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी किया है। पार्टी की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा INDIA ब्लॉक देश के संविधान को बचाने के लिए बना है आने वाले समय में लड़ाई बढ़ेगी, इसमें कोई दो राय नहीं है कि ममता बनर्जी कितनी बड़ी नेता हैं। ममता बनर्जी सभी को साथ लेकर चलती हैं। भाजपा के खिलाफ उन्होंने अच्छी लड़ाई लड़ी है,नेतृत्व करने के लिए जो अच्छा होगा, वहीं करेगा। ममता के समर्थन में आरजेडी नेता लालू यादव भी आना इंडिया गठबंधन में बढ़ती दरार को दिखा रहा है। गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव ने ही पटना में मई 2023 में विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन की पहली बैठक में राहुल गांधी को दूल्हा बनने की सलाह दी थी। बैठक में लालू प्रसाद के दूल्हा बनने की सलाह के कई मायने निकाले गए थे। लालू के बयान को राहुल के गठबंधन की कमान थामने से जोड़ा था, ऐसे में अब लालू ने ममता को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व सौंपने की मांग कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था।
मुददों पर मतभेद बिखराव का कारण-मोदी सरकार को चुनौती देने के लिए बनाया गया इंडिया गठबंधन में मुद्दों को लेकर मतभेद है। पिछले दिनों संसंद के शीतकालीन सत्र में अडानी के मुद्दें पर जिस तरह से कांग्रेस अक्रामक नजर आ रही है और टीएमसी ने उससे दूरी बना ली है वह भी गठबंधन की दरार को दिखाती है। इंडिया गठबंधन के सहयोगी ने कांग्रेस पर अपना एजेंडा चलाने के आरोप भी लगाए। अडानी और गोडसे के मुद्दें पर भी क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस में टकराव नजर आता रहा है। ममता बनर्जी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से नाराजगी जाहिर की और पूछा कि उन्होंने बिना कोई बात किए अडानी का मुद्दा क्यों उठाया, कारण गठबंधन में कांग्रेस अकेले अपना मुद्दा नहीं बना सकती है। वहीं गोडसे के मुद्दें पर कांग्रेस और शिवसेना में दरार साफ नजर आती है।