RSS chief Mohan Bhagwat News : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज में एकता और भारत को सैन्य शक्ति एवं अर्थव्यवस्था की दृष्टि से इतना शक्तिशाली बनाने का आह्वान किया है कि कई शक्तियां एकसाथ आकर भी इस पर जीत हासिल न कर सकें। भागवत ने कहा, भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। भागवत ने कहा, अपना स्वयं का बल ही वास्तविक बल है। सुरक्षा के मामले में हम किसी पर निर्भर न हों, हम अपनी सुरक्षा स्वयं कर लें। क्योंकि भारत अपनी सभी सीमाओं पर बुरी ताकतों की दुष्टता देख रहा है। उन्होंने कहा, यदि भारत का हिंदू समाज सामर्थ्यवान होगा तो विश्वभर के हिंदुओं का सामर्थ्य अपने आप बढ़ेगा।
हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ताकत को सद्गुणों और नीति परायणता के साथ जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि मात्र पाशविक शक्ति दिशाहीन हो सकती है और घोर हिंसा को जन्म दे सकती है। उन्होंने आरएसएस से जुड़ी साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य के ताजा संस्करण में प्रकाशित साक्षात्कार में कहा कि भारत के पास शक्तिशाली होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि वह अपनी सभी सीमाओं पर बुरी ताकतों की दुष्टता देख रहा है।
यह साक्षात्कार लगभग दो महीने पहले बेंगलुरू में आरएसएस की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद किया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य शक्ति और आर्थिक शक्ति पर संघ के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर भागवत ने कहा, हमें बल संपन्न होना ही पड़ेगा। संघ में प्रार्थना की पंक्ति ही है-अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम् (हमें इतनी शक्ति दीजिए कि हमें विश्व में कोई न हरा सके)।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। भागवत ने कहा, अपना स्वयं का बल ही वास्तविक बल है। सुरक्षा के मामले में हम किसी पर निर्भर न हों, हम अपनी सुरक्षा स्वयं कर लें। सारी दुनिया मिलकर भी हमें जीत न सके, इतना सामर्थ्य संपन्न हमें होना ही है।
उन्होंने कहा, विश्व में कुछ दुष्ट लोग हैं जो स्वभाव से आक्रामक हैं। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। हमें शक्ति संपन्न होना ही पड़ेगा क्योंकि हम अपनी सभी सीमाओं पर दुष्ट लोगों की दुष्टता देख रहे हैं। भागवत ने कहा, सज्जन व्यक्ति केवल सज्जनता के कारण सुरक्षित नहीं रहता। सज्जनता के साथ शक्ति चाहिए। केवल अकेली शक्ति दिशाहीन होकर हिंसा का कारण बन सकती है इसलिए उसके साथ सज्जनता भी चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार रक्षकों को पड़ोसी देशों में शोषण और हिंसा का सामना कर रहे हिंदुओं की चिंता है, आरएसएस प्रमुख ने कहा कि किसी को हिंदू की चिंता केवल तभी होगी, जब हिंदू सशक्त बनेंगे। उन्होंने कहा, हिंदू समाज और भारत देश आपस में जुड़े हैं इसलिए हिंदू समाज का बहुत अच्छा स्वरूप भारत को भी बहुत अच्छा देश बनाएगा। जो अपने आप को भारत में हिंदू नहीं कहते, यह उन्हें भी साथ लेकर चल सकेगा, क्योंकि वे भी हिंदू ही थे।
उन्होंने कहा, यदि भारत का हिंदू समाज सामर्थ्यवान होगा तो विश्वभर के हिंदुओं का सामर्थ्य अपने आप बढ़ेगा। भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को मजबूत करने के लिए काम चल रहा है लेकिन यह अभी पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, धीरे-धीरे वह स्थिति आ रही है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार पर इस बार जिस तरह आक्रोश व्यक्त किया गया, वैसा पहले नहीं हुआ। वहां के हिंदुओं ने भी यह कहा है कि वे भागेंगे नहीं, बल्कि वहीं रहकर अपने अधिकार प्राप्त करेंगे।
आरएसस प्रमुख ने कहा कि अब हिंदू समाज का आंतरिक सामर्थ्य बढ़ रहा है। भागवत ने आरएसएस के शताब्दी वर्ष में शुभचिंतकों, विचारकों और हिंदू समाज के लिए उनके संदेश के बारे में पूछे जाने पर कहा, हिंदू समाज को अब जागृत होना ही पड़ेगा। अपने सारे भेद और स्वार्थ भूलकर हमें हिंदुत्व के शाश्वत धर्म मूल्यों के आधार पर अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक एवं पेशेवर जीवन को आकार देना होगा।
भागवत ने कहा, विश्व को नई राह की प्रतीक्षा है और वह दिखाना भारत का यानी हिंदू समाज का ईश्वर प्रदत्त कर्तव्य है। उन्होंने कहा, कृषि क्रांति हो गई, उद्योग क्रांति हो गई, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की क्रांति हो गई, अब धार्मिक क्रांति की आवश्यकता है। मैं धर्म की बात नहीं कर रहा हूं लेकिन सत्य, शुचिता एवं करुणा के आधार पर मानव जीवन की पुनर्रचना करनी होगी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour