इमरान पर हमले के बाद पाकिस्तान में बवाल, भारत में PoK बना चुनावी मुद्दा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 5 नवंबर 2022 (20:41 IST)
देश मांग रहा पीओके : विधानसभा चुनाव से पहले भारत में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का मामला गरमा गया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में हिमाचल में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया जा रहा है। रक्षामंत्री राजनाथ की जयसिंघपुरा चुनावी रैली के दौरान पीओके चाहिए का नारा प्रमुखता से गूंजा। इस पर राजनाथ को हंसते हुए कहना पड़ा कि धैर्य रखिए।
 
दरअसल, कश्मीर में शौर्य दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम में राजनाथ ने कहा था कि अभी हमने उत्तर की ओर चलना शुरू किया है। ये यात्रा तब पूरी होगी जब 22 फरवरी 1994 में भारतीय संसद में लाए गए प्रस्ताव को अमल में लाएंगे और उसके तहत हम बाकी बचे हिस्से गिलगित-बाल्टिस्तान तक पहुंचेंगे। राजनाथ के बयान के बाद चिनार कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एडीएस औजला ने भी कहा था कि हम सरकार के आदेश पर किसी भी तरह की कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं। हालांकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह मुद्दा संयोग नहीं बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत उठाया जा रहा है। भाजपा इसे 2024 के लोकसभा चुनाव तक बनाए रखना चाहेगी। 
इमरान पर हमले के बाद बवाल : पाकिस्तान में चुनाव की मांग को लेकर हकीकी आजादी मार्च निकाल रहे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर गुजरांवाला में हुए हमले के बाद पाकिस्तान में बवाल मच गया है। इमरान पर हुए हमले के खिलाफ लाहौर से लेकर इस्लामाबाद तक लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन किया। कई जगह तोड़फोड़ और आगजनी की खबरें भी सामने आई हैं। इमरान के समर्थन में सड़कों पर उतरे लोगों को देखकर सेना में भी घबराहट है।
 
इस बीच, आशंका जताई जा रही है कि सेना पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगा सकती है क्योंकि सेना को पहली बार अवाम से इतनी बड़ी चुनौती मिलती दिख रही है। इस बीच, अस्पताल से ही इमरान ने कहा है कि मुझे पता था कि मुझ पर हमला हो सकता है, लेकिन मैं रुकूंगा नहीं। उन्होंने पाक सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चोरों की गुलामी करने से अच्छा है कि मैं जिंदा न रहूं। वहीं, इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ ने इस हमले को सोची-समझी साजिश करार दिया है और इसके पीछे सरकार और सेना का हाथ बताया है।
 
राजधानी दिल्ली में सांसों पर संकट : बढ़ते प्रदूषण और हवा की खराब गुणवत्ता के बीच राजधानी दिल्‍ली में एक तरह से मिनी लॉकडाउन की ही स्‍थिति बनी हुई है। वायु प्रदूषण की भयावहता के बीच आम आदमी पार्टी की सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। दिल्ली में 50 फीसदी सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम की घोषणा की गई है। प्राइवेट कंपनियों को भी वर्क फ्रॉम होम की सलाह दी गई है। कक्षा 8वीं से 12वीं तक की कक्षाएं ऑनलाइन कर दी गई हैं। दिल्ली में प्राइमरी स्कूलों को अगले आदेश तक बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं। डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 
 
दरअसल, सर्दी की शुरुआत से ही दिल्लीवासियों को हर साल एयर पॉल्‍यूशन की भयावह स्‍थिति का सामना करना पड़ता है। इस बीच, एलर्जी, खांसी, अस्‍थमा और तरह-तरह की सांस की बीमारियों से परेशान लोगों की संख्‍या में भी इजाफा हो गया है। हालांकि दिल्ली में प्रदूषण से जो इलाके सबसे ज्‍यादा प्रभावित हैं, वहां प्रदूषण की रोकथाम के लिए विशेष टीमें तैयार की जा रही हैं। इस बीच, केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। मुश्किल में है तो जनता, जिसे इस समस्या से निपटने का कोई स्थायी समाधान नहीं दे पा रहा है। 
 
गुजरात में चुनाव का शंखनाद : गुजरात में विधानसभा चुनाव का आखिरकार ऐलान हो ही गया। राज्य और 1 और 5 दिसंबर को वोटिंग होगी, जबकि परिणाम हिमाचल प्रदेश के साथ ही 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। गुजरात में आमतौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होता रहा है, लेकिन इस बार आप की मौजूदगी मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। आम आदमी पार्टी ने पंजाब की तर्ज पर पत्रकार ईसुदान गढ़वी को चुनाव से पहले ही अपना मुख्‍यमंत्री कैंडीडेट घोषित कर दिया है। हालांकि इस घोषणा से नाराज राजकोट के दिग्गज नेता इंद्रनील राजगुरु आप को छोड़कर फिर से कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।
 
जहां तक उम्मीदवारों की घोषणा की बात है तो भाजपा के मुकाबले कांग्रेस ने बाजी मार ली है। कांग्रेस ने 43 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, इसमें अर्जुन मोढवाड़िया के साथ ही विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व नेता प्रवीण तोगड़िया के भाई प्रफुल्ल तोगड़िया का नाम भी शामिल है। हालांकि सी-वोटर के सर्वे में भाजपा बढ़त बनाते हुए दिख रही है, उसे इस बार पिछली बार से भी ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। आप की मौजूदगी से कांग्रेस को नुकसान होता दिखाई दे रहा है। हालांकि मोरबी हादसे के बाद सत्तारूढ़ भाजपा बैकफुट पर आई है।
 
महंगाई, बेरोजगारी, मोरबी हादसा, बिल्कीस बानो कांड के दोषियों की समय पूर्व रिहाई, शिक्षा, स्वास्थ्य प्रमुख रूप से चुनावी मुद्दे बन सकते हैं। हालांकि भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। वहीं, एंटीइंकबेंसी फैक्टर भी थोड़ा-बहुत देखने को मिल सकता है। 
 
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