जयशंकर ने कहा, आतंकवाद के प्रति भारत हमेशा कतई बर्दाश्त नहीं करने का रखेगा रुख

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025 (23:28 IST)
S Jaishankar's statement on terrorism: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा है कि एक नई बहुपक्षीय प्रणाली की स्पष्ट और तत्काल आवश्यकता है जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाती हो, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में मौजूदा संरचनाओं की गंभीर रूप से कमी उजागर हुई है।
 
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र में एक वर्चुअल संबोधन में नई दिल्ली में उन्होंने यह भी कहा कि भारत हमेशा आतंकवाद के खिलाफ 'कतई बर्दाश्त नहीं करने की' नीति की वकालत करेगा और इसे सामान्य बनाने के किसी भी प्रयास का आह्वान करेगा।ALSO READ: जयशंकर ने दिया भारत और चीन सहयोग पर जोर
 
विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर चर्चा करते हुए जयशंकर ने कहा कि दुनिया संघर्षों से जूझ रही है और उभरती चुनौतियों के सामने यह अधिक खंडित, अनिश्चित और अस्थिर होती जा रही है। एक बहुपक्षीय प्रणाली की स्पष्ट और तत्काल आवश्यकता है जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाती हो, जो आधुनिक चुनौतियों का जवाब देने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हो और, संक्षेप में, उद्देश्य के लिए उपयुक्त हो।
 
जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में मौजूदा बहुपक्षीय संरचनाओं की गंभीर अपर्याप्तता उजागर हुई है। जब दुनिया को उनकी सबसे अधिक आवश्यकता थी तो वे अपर्याप्त पाई गईं। जयशंकर ने कहा कि भारत ने हमेशा मानवाधिकारों के वैश्विक प्रचार और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाई है।
 
उन्होंने कहा कि हमारा दृष्टिकोण हमारे भागीदारों की प्राथमिकताओं के अनुरूप क्षमता निर्माण और मानव संसाधन तथा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर केंद्रित रहा है जिसमें हमेशा वित्तीय जिम्मेदारी, पारदर्शिता और स्थिरता के सिद्धांतों को कायम रखा गया हो।ALSO READ: क्या लोकतंत्र खतरे में है, विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया यह जवाब
 
जयशंकर ने कहा कि दुनियाभर के देशों के साथ भारत की विकास साझेदारी इस प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि साथ ही, हम आतंकवाद का मुकाबला करने में दृढ़ और अडिग रहे हैं। भारत हमेशा आतंकवाद के लिए कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति की वकालत करेगा और इसे सामान्य बनाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगा।
 
उन्होंने कहा कि हम वसुधैव कुटुम्बकम् यानी दुनिया को एक परिवार मानने की बात केवल बोलते नहीं हैं, बल्कि इसके अनुसार जीते हैं और आज, पहले से कहीं अधिक इस दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है। दुनिया संघर्षों और संकटों से जूझ रही है, उभरती चुनौतियों के सामने और अधिक खंडित, अनिश्चित तथा अस्थिर होती जा रही है, जबकि यह हाल की चुनौतियों से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है।ALSO READ: जयशंकर ने काजीरंगा में उठाया जंगल सफारी का लुत्फ, 61 देशों के राजनयिक भी रहे मौजूद
 
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सुधारों की दिशा में प्रयासों का समर्थन करने और उनका नेतृत्व करने के लिए तैयार है। मैं मानवाधिकारों के वैश्विक संवर्धन और संरक्षण तथा सभी लोगों के लिए उनके पूर्ण कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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