देश के इतिहास में कई ऐसी घटनाएं हैं जिनसे देश पर बहुत बड़ा असर पड़ा। ऐसी ही एक घटना हुई थी 23 जून 1980 को जिसने देश की राजनीति के समीकरण बदल दिए थे। 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी का निधन हो गया था। संजय गांधी उस समय के राजनीतिक परिदृश्य के एक बहुत बड़ा चेहरा थे। सत्ता की बागडोर भले ही इंदिरा गांधी के हाथ में थी, लेकिन बड़े फैसलों के पीछे संजय गांधी ही होते थे।
गांधी परिवार के उत्तराधिकारी : संजय गांधी को इंदिरा गांधी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता था, लेकिन उनकी मृत्यु से देश की सियासी हवाएं पूरी तरह बदल गईं और इस घटना के 4 बरस बाद जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तो उनके बड़े पुत्र राजीव गांधी को उनकी विरासत संभालने के लिए सियासत में कदम रखना पड़ा।
विवादित रहा नसबंदी कार्यक्रम : संजय का छोटा-सा राजनीतिक जीवन विवादित रहा। जब 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तो बताया जाता है कि उस समय पर्दे के पीछे से देश की कमान संजय गांधी के हाथों में थी। 1976 में संजय गांधी ने नसबंदी कार्यक्रम चलाया था। बताया जाता है कि लक्ष्य को पूरा करने के लिए लोगों को जबर्दस्ती पकड़कर नसबंदी की गई। हालांकि इस योजना के लिए कांग्रेस की खूब आलोचना भी हुई।
आलोचक कहते थे तानाशाह : इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की छवि विवादोंभरी रही। आलोचक उन्हें तानाशाह और बेसब्र इंसान बताते थे। उनका समर्थन करने वाले संजय गांधी को मैन ऑफ एक्शन, विजनरी और वर्कोहोलिक कहते थे। आपातकाल के दौरान भी उनकी भूमिका विवादित रही।
राज बनकर रह गई मौत : 23 जून 1980 को दिल्ली के सफदरजंग एयरपोर्ट पर एक विमान हादसे में संजय गांधी की मौत हो गई थी। दिल्ली फ्लाइंग क्लब के सदस्य संजय गांधी एक नया एयरक्राफ्ट उड़ा रहे थे। अचानक उनका कंट्रोल खत्म हो गया और उस हादसे में उनकी मौत हो गई। इस दौरान उनके एकमात्र यात्री कैप्टन सक्सेना की भी मौत हो गई। उनकी मौत एक राज बनकर रह गई।