पीठ ने कहा कि मिस्टर मेहता, आपको याचिकाकर्ताओं के हर सवाल का जवाब देना होगा, जिन्होंने विस्तार में तर्क दिए हैं। आपके जवाबी हलफनामे से हमें किसी नतीजे पर पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली है। यह संदेश न दें कि आप इस मामले पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उनके पास मामले की स्थिति रिपोर्ट है, लेकिन उन्होंने अभी वह अदालत में दाखिल नहीं की है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में हर रोज हालात बदल रहे हैं तथा रिपोर्ट दाखिल करने के समय वह एकदम वास्तविक हालात का ब्योरा देना चाहते हैं।
मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के मामले में किसी हिरासती मामले की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम इस समय दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं, जो अनुराधा भसीन और गुलाम नबी आजाद ने दायर की हैं। ये आवाजाही की स्वतंत्रता और प्रेस आदि से जुड़ी हैं।
इसके साथ ही पीठ ने कहा कि केवल एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लंबित है, जो कि एक कारोबारी की हिरासत के खिलाफ है क्योंकि याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय के साथ ही जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में भी यह याचिका दाखिल की थी। पीठ ने कहा कि अब उन्होंने उच्च न्यायालय से याचिका वापस ले ली है और यहां दाखिल याचिका लंबित है।