फांसी के इंतजार में ‘7 खून की दोषी शबनम’ क्‍यों मुस्‍कुरा रही थी जेल में, फोटो वायरल!

मंगलवार, 2 मार्च 2021 (12:59 IST)
शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई है, उसने करीब 13 साल पहले अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 7 लोगों की हत्‍या कर दी थी। फि‍लहाल वो जेल में फांसी के फरमान का इंतजार कर रही है, लेकिन इस बीच जेल से उसकी एक तस्‍वीर वायरल हो गई है, जिसमें वो मुस्‍कुरा रही है।

शबनम की यह मुस्कराते हुए फोटो रामपुर जेल से सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इस मामले में जांच के बाद दोषी पाए गए दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है।

रामपुर जेल अधीक्षक पीडी सलोनिया ने बताया कि 26 जनवरी को शबनम की कुछ तस्वीरें जेल से वायरल हुई थीं। जांच में वे सही पाई गईं और इस मामले में दो बंदी रक्षकों- महिला सिपाही नाहिद बी और पुरुष सिपाही शुएब को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही सुरक्षा कारणों के चलते शबनम को बरेली जेल शिफ्ट कर दिया गया है।
बता दें कि शबनम ने फांसी से माफी के लिए भी आवेदन दिया है। हाल ही में शबनम ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के पास दया याचिका भेजी है।

आजाद भारत में यानि 1947 के बाद देश में किसी महिला को अब तक फांसी की सजा नहीं सुनाई गई है। लेकिन अगर इस बार शबनम को माफी की राहत नहीं मिली तो वह आजादी के बाद पहली ऐसी महिला होगी, जिसे फांसी की सजा दी जाएगी।

शबनम के सिर पर अपने ही परिवार के 7 लोगों के खून का दोष है, इसमें उसका प्रेमी सलीम भी शामिल था। उसने 15 अप्रैल 2008 को अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के साथ ही अनीस के 10 महीने के बेटे अर्श की हत्या कर दी थी। सभी को पहले दवा देकर बेहोश किया गया और इसके बाद अर्श को छोड़कर बाकी लोगों को कुल्हाड़ी से काट दिया। शबनम ने अर्श का गला दबाकर उसकी हत्या की थी।

बाद में जांच में पता चला था कि शबनम प्रेगनेंट थी, लेकिन परिवार वाले सलीम से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर पूरे परिवार की हत्या कर दी।

जेल में रहने के दौरान शबनम ने 14 दिसंबर 2008 को बेटे को जन्म दिया था। उसका बेटा जेल में उसके साथ ही रह रहा था। 15 जुलाई 2015 में वह जेल से बाहर आया। इसके बाद शबनम ने बेटे को अपने कॉलेज फ्रेंड उस्मान सैफी के पास छोड़ दिया। शबनम ने उस्मान को बेटा सौंपने से पहले दो शर्तें भी रखी थीं। पहली ये कि उसके बेटे को कभी भी उसके गांव में न ले जाया जाए, क्योंकि वहां उसकी जान को खतरा है और दूसरी शर्त ये थी कि बेटे का नाम बदल दिया जाए।

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