नई दिल्ली। शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को दूसरे स्थल पर जाने के लिए मनाने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा दो वार्ताकारों की नियुक्ति से प्रदर्शनकारियों को थोड़ी निराशा हुई, हालांकि उनमें से कई का मानना है कि अपनी असहमति को लेकर सरकार से बात करना ही अंतिम रास्ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मध्यस्थता से शाहीन बाग का प्रदर्शन खत्म हो जाएगा?
इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता के लिए नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने न्यूज चैनल पर कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील साधना रामचंद्रन के साथ जल्द शाहीन बाग जाएंगे।
हेगड़े ने कहा कि वे बीच का रास्ता जरूर निकालेंगे। विरोध का अधिकार और दूसरे लोगों को हो रही परेशानी में बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया जाएगा।
नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में सैकड़ों लोग, विशेषकर महिलाएं दिल्ली के शाहीन बाग में डेरा डाले हुए हैं जिनके प्रदर्शनों की वजह से एक मुख्य मार्ग अवरुद्ध हो गया है जिसके कारण शहर में यातायात की समस्या पैदा हो गई है।
महिला प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने कहा कि उनके द्वारा लगाए गए तम्बू ने स्थल को ‘न्याय और समानता के लिए युद्ध का मैदान’ के रूप में प्रतिरूपित किया।
उन्होंने कहा कि वे वहां से जाने के विचार से विचलित नहीं हैं लेकिन वे पहले सीएए पर सरकार के साथ विस्तृत बातचीत करना चाहते हैं।
बाटला हाउस की निवासी शाहिदा खान ने कहा कि हमने 15 दिसंबर को अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जब जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों को पुलिस द्वारा बुरी तरह से पीटा गया था।
हमें स्थानांतरण से बहुत खुशी नहीं होगी लेकिन चूंकि यह अदालत का फैसला है, इसलिए हम इसे पूरे सम्मान के साथ स्वीकार करेंगे।’