नई दिल्ली। विंग कमांडर शैलजा धामी को भारतीय वायुसेना की फ्लाइंग यूनिट की पहली महिला फ्लाइट कमांडर बनाया गया है और उन्होंने पिछले कुछ समय से सेना में महिलाओं द्वारा हासिल की जा रहीं उपलब्धियों में एक बार फिर अपना नाम जोड़ लिया है। वीरों की धरती पंजाब में लुधियाना के शहीद करतार सिंह सराभा गांव में पली-बढ़ीं शैलजा को देश के लिए कुछ गुजरने का जज्बा अपने गांव की आबोहवा से मिला। इस गांव का नाम देश की आजादी में उल्लेखनीय योगदान देने वाले शहीद के नाम पर रखा गया है।
शैलजा को उत्तरप्रदेश के हिंडन एयरबेस पर चेतक हेलिकॉप्टर यूनिट की फ्लाइट कमांडर का दायित्व सौंपा गया है। यह पिछले 15 वर्ष से भारतीय वायुसेना में उनकी सेवाओं की अगली सीढ़ी है। इससे पहले वे पहली महिला फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर रह चुकी हैं और फ्लाइंग ब्रांच की परमानेंट कमीशन प्राप्त करने वाली पहली महिला भी वही हैं। इकाई के कमान के क्रम में देखें तो फ्लाइट लेफ्टिनेंट दूसरे नंबर का पद है।
शैलजा के माता-पिता सरकारी नौकरी में थे। पिता हरकेश धामी बिजली बोर्ड के एसडीओ रहे और मां देवकुमारी जल आपूर्ति विभाग में थीं। लुधियाना में जन्मीं शैलजा ने सरकारी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई के बाद घुमार मंडी के खालसा कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। 12वीं की पढ़ाई के दौरान एनसीसी के एयरविंग में जाना शैलजा के जीवन में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ और इसी दौरान हिसार में आयोजित ओपन ग्लाइडिंग टूर्नामेंट में स्पॉट लैंडिंग में दूसरा स्थान हासिल करने के बाद शैलजा ने जैसे आसमान और हवाओं से दोस्ती कर ली, जो वक्त गुजरने के साथ-साथ बढ़ती ही रही।
बीएससी की पढ़ाई पूरी नहीं हुई ही नहीं थी कि फ्लाइंग एयरफोर्स में उनका चयन हो गया। उनके कद को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति रही, लेकिन कुछ अड़चनों के बाद उन्हें वायुसेना में चुन लिया गया। पिछले कुछ समय में महिलाओं ने सेना में सेवाएं देते हुए कुछ साहसिक अभियानों में योगदान देने के साथ ही व्यक्तिगत तौर पर उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
बालाकोट हवाई हमले में सहायता करने वाली उड़ान नियंत्रकों की टीम का हिस्सा रही स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल को हाल ही में युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2018 में लड़ाकू पायलट के तौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल की गई अवनी चतुर्वेदी ने अकेले दम मिग-21 बायसन विमान उड़ाया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह ने आधुनिकतम जेट विमान हॉक को उड़ाने की काबिलियत हासिल की और फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत ने दिन के समय लड़ाकू विमान उड़ाने में महारत हासिल कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया।