पूरे देश में NRC कराने के गृहमंत्री अमित शाह के ऐलान और नागरिकता संशोधन बिल के अब कानून का रूप ले लेने के बाद अब पूरे देश में इसका खुलकर विरोध होने लगा है। संसद से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद जहां पूर्वोत्तर के कई राज्य विरोध की आग में झुलस रहे तो वहीं अब बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में भी विरोध की चिंगारी पहुंच गई है। समाज के कई वर्ग नागरिकता पर बनाए गए इस नए कानून का विरोध कर रहे हैं।
इस बीच जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी NRC और CAB के विरोध में सामने आ गए हैं। 'वेबदुनिया' से बातचीत में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने पूरे देश में NRC लागू करने के गृहमंत्री अमित शाह के ऐलान को सियासी एजेंडा करार दिया है। उन्होंने कहा कि मोदी-अमित शाह जान-बूझकर NRC और CAB के जरिए मुस्लिमों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।
'वेबदुनिया' के इस सवाल पर कि मोदी सरकार के पूरे देश में NRC लागू करने को वे कैसे देखते हैं? पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सवाल उठाते हुए कहते हैं कि देश में घुसपैठियों को आने से रोकने और उनको बाहर करने के लिए पहले से कानून मौजूद है, तो ऐसे नए कानून की जरूरत ही क्या है?
वे कहते हैं कि जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, वह भारत में नहीं रह सकता है, इसका कानून पहले से ही है, तो अब नए कानून की क्या जरूरत है? वे सवाल उठाते हुए कहते हैं कि मोदी सरकार को चुनावों के समय ही राम मंदिर, NRC और CAB जैसे फैसलों की याद क्यों आती है?
मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए वे कहते हैं कि NRC और CAB के नाम पर जान-बूझकर मुस्लिमों को उकसाकर उपद्रव खड़ा किया जा रहा है। वे इन फैसलों को वोट बैंक की राजनीति को बंगाल की राजनीति से जोड़ते हुए कहते हैं कि CAB और NRC के पीछे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने की साजिश शामिल है।
वे सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि मोदी सरकार सत्ता में इतने सालों से है, तो उसे अब ऐसे कानूनों को बनाने की याद क्यों आ रही है? वे कहते हैं कि मुस्लिमों को छेड़ने की जगह सरकार को भारत को अमेरिका की तरह एक मजबूत राष्ट्र बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
कॉमन सिविल कोड लाए सरकार- शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कहते हैं कि NRC और CAB के नाम पर मुसलमानों को उकसाने की जगह सरकार को कॉमन सिविल कोड कानून लाना चाहिए जिससे कि हिन्दू और मुसलमानों के साथ ही देश में सभी के लिए एक समान काननू लागू हो सके।
वे कहते हैं कि मुसलमानों के अलग कानून से उनमें ट्रिपल तलाक जैसे मामले सामने आते हैं। वे कहते हैं कि सल्तनत काल से मुस्लिम भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की कोशिश की जा रही है, जो आज भी जारी है। इसलिए मोदी सरकार को अपने चुनावी घोषणापत्र के मुताबिक जल्द से जल्द कॉमन सिविल कोड का कानून बनाना चाहिए।