अयोध्या में राममंदिर पर मुस्लिम पक्षकारों की पुर्नविचार याचिका के सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के बाद अब शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मुस्लिमों को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन दिए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मस्थान पर जब बाबरी मस्जिद के कोई प्रमाण नहीं मिले है तब मुस्लिमों को क्यों मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन दी जा रही है।
वहीं शंकराचार्य अयोध्या में राममंदिर बनाने के लिए अपने ट्रस्ट की ओर से दावा पेश करते हुए कहते हैं कि अगर रामालय ट्रस्ट को राममंदिर बनाने का मौका दिया जाए तो वह सरकार से एक पैसा भी नहीं लेंगे । इसके साथ ही शंकराचार्य अयोध्या में प्रस्तावित राममंदिर के मॉडल को भी इस समय के अनुसार सहीं नहीं मानते है। वह कहते हैं कि अयोध्या में कंबोडिया को अंकोरवाट जैसा मंदिर बनाना चाहिए।
भगवान राम को महापुरुष बनाने की कोशिश में संघ – शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भाजपा और संघ पर राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सियासी फायदा लेने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जब कुछ सुप्रीम कोर्ट से तय होना था तो भाजपा ने उसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करते हुए मंदिर बनाने की बात क्यों करती थी। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का श्रेय लेने में जुट गए है।
वहीं राममंदिर पर संघ की नीयत पर सवाल उठाते हुए शंकराचार्य ने कहा कि इलाहाबाद में आरएसएस की बैठक में जिस तरह बीच में भगवान राम के एक तरफ विवेकानंद और दूसरी तरफ बाबा साहेब अंबेडकर के मूर्ति रखी गई उससे कई सवाल खड़े हो रहे है। उन्होंने आरोप संघ प्रमुख मोहन भागवत के भगवान राम को महापुरुष बताने और आरएसएस अपने सम्मेलनों ने जिस तरह भगवान राम को आराध्य के स्थान पर महापुरुष के रुप में पेश कर रहा है उससे उनको इस बात का डर लग रहा है कि संघ और भाजपा अयोध्या में राममंदिर की जगह कोई स्मारक नहीं बनवा दें।