इंडियन आर्मी (Indian Army) के हेडक्वॉर्टर (Army Headquarters) की तरफ से कुछ समय पहले आर्मी की सभी कमांड को एक पत्र भेजा गया था। 2 फरवरी को भेजे गए इस पत्र का विषय था - 'Martyr शब्द का गलत इस्तेमाल'। पत्र में कहा गया है अक्सर आर्म्ड फोर्सेस के कुछ ऑफिसर्स और मीडिया भी हमारे उन सैनिकों के लिए Martyr यानी शहीद शब्द का इस्तेमाल करते हैं, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है।
पत्र में विस्तार से लिखकर बताया गया कि Martyr शब्द उस व्यक्ति के लिए लिखा या कहा जाता है, जिसकी मौत एक सजा के तौर पर हुई हो, जिसने धर्म के लिए त्याग से इनकार कर दिया हो या फिर वह व्यक्ति जो अपने धर्म या राजनीतिक आस्था के लिए मारा गया हो। इसलिए भारतीय सेना के सैनिकों के लिए लगातार इस शब्द का इस्तेमाल ठीक नहीं है।
अगर शहीद नहीं तो फिर क्या कहें
आर्मी हेडक्वॉर्टर की तरफ से जारी इस पत्र में सभी कमांड को यह भी कहा गया कि अगर शहीद नहीं इस्तेमाल कर सकते तो फिर किन शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए। आर्मी ने कहा कि स्पीच में या कहीं भी वीर सैनिकों का जिक्र करने के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल किए जाने चाहिए। इसमें 'किल्ड इन एक्शन' (मारे गए), 'लेड डाउन देयर लाइव्स' (अपना जीवन न्योछावर किया), 'सुप्रीम सेक्रिफाइस फॉर द नेशन' (देश के लिए सर्वोच्च बलिदान), 'फॉलन हीरोज' (वीरगति प्राप्त), 'इंडियन आर्मी ब्रेव्स' (भारतीय सेना के वीर), 'फॉलन सोल्जर्स' (वीरगति प्राप्त सैनिक) शामिल हैं।
सेना के मुताबिक बलिदान होने वाले जवानों के लिए सेना, पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की शब्दावली में कहीं भी शहीद शब्द नहीं रहा है। बावजूद 1990 के बाद से यह शब्द आतंकियों और नक्सलियों समेत कई तरह की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, हमलों में बलिदान होने वाले जवानों व अधिकारियों के लिए इस्तेमाल होता रहा है। यहां तक कि पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त जवानों के लिए अब यही शब्द इस्तेमाल होने लगा है। लेकिन बलिदान की जगह शहीद या अंग्रेजी में Martyr लिखे-बोले जाने पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं।
हालांकि इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिसंबर 2016 में लोकसभा को सूचित किया था कि भारतीय सेना, पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के बलिदानी जवानों के लिए अंग्रेजी में Martyr और हिंदी या उर्दू में शहीद शब्द का प्रयोग नहीं किया जा सकता।