प्राण जाए पर वचन ना जाई : लद्दाख के पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने रामायण की एक चौपाई का जिक्र करते हुए आगे कहा कि रघु कुल रीत सदा चली आयी, प्राण जाए पर वचन ना जाई। सोनम वांगचुक ने दावा करते हुए कहा कि जब तक केंद्र सरकार लद्दाख को लेकर अपने वादे को पूरा नहीं करेगी, उनका अनशन 21 दिनों तक जारी रहेगा।
21 दिनों तक चलेगा अनशन: दरअसल, सोनम वांगचुक ने लद्दाख के लोगों की मांग के समर्थन में 21 दिनों के अनशन की घोषणा की है। यह अनशन केंद्र सरकार के साथ चौथी वार्ता के विफल होने के बाद शुरू किया गया है। इस दौरान करीब तीस हज़ार से ज्यादा लोग शामिल हुए। वांगचुक ने कहा है कि अगर सरकार लद्दाख के लोगों के साथ किए गए वादे को पूरा नहीं करती है तो उनका ये अनशन 21 दिन तक लगातार जारी रहेगा।
क्या है लद्दाख को लेकर मांगें : दरअसल, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्ज दिए जाने की मांग हो रही है। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद से ही पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठ रही है। इसके अलावा संविधान की 6वीं अनुसूची को लागू करने की मांग है। इसके साथ ही PSC और नौकरी में आरक्षण समेत की अन्य मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। सोनम वांगचुक समेत लद्दाख के कई लोगों का आरोप है कि अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से किसी भी मांग के पूरा करने को लेकर गंभीरता से कोई पहल नहीं की गई।
मुझे नजरबंद किया गया : वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को टैग करके एक ट्वीट भी किया। इसमें उन्होंने कहा, 'मैं पर्यावरण को बचाने के लिए सिर्फ उपवास और प्रार्थना कर हूं। फिर भी केंद्रशासित प्रदेश का प्रशासन मुझे परेशान कर रहा है। वह चाहता है कि मैं एक महीने तक कोई बयान न दूं। किसी सार्वजनिक बैठक में हिस्सा न लूं। आखिर यह कितना सही है।' वांगचुक ने दावा किया कि उन्हें नजरबंद किया गया है और सही मायने में उनकी हालत नजरबंद से भी बदतर है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि वांगचुक को सिर्फ माइनस 40 डिग्री तापमान में भूख हड़ताल करने से रोका गया।
क्या होगा मांगें पूरी नहीं हुई तो : वांगचुक ने कहा कि मेरी पीएम मोदी से गुजारिश है कि लद्दाख और अन्य हिमालयी क्षेत्रों को औद्योगिक शोषण से बचाएं, क्योंकि यह लद्दाख के लोगों के जीवन पर बुरा असर डालेगा। उन्होंने विडियो में लद्दाख में पानी की कमी जैसी गंभीर समस्याओं को भी उठाया। उनका कहना था कि हमारे प्रदेश में पानी की इतनी किल्लत है कि लोग 5 लीटर पानी में पूरा दिन गुजार देते हैं। कई लोग तो गंभीर जल संकट के चलते पलायन भी कर रहे हैं। इस सूरत में अगर विकास परियोजनाओं के नाम पर लद्दाख के पर्यावरण से खिलवाड़ जारी रहता है, यहां उद्योग लगते हैं, माइनिंग होती है, तो धूल और धुएं से ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे। लद्दाख में ग्लेशियर ही पानी के सबसे बड़े स्रोत हैं।
कश्मीर यूनिवर्सिटी और दूसरे रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के हालिया रिसर्च से भी पता चला है कि अगर लद्दाख पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो लेह-लद्दाख में दो तिहाई ग्लेशियर समाप्त हो जाएंगे। वांगचुक ने वीडियो में कहा था, 'आपका ध्यान इस तरफ ला सकूं, इसके लिए मैं गणतंत्र दिवस से 5 दिन के अनशन पर बैठ रहा हूं। अगर -40° टेम्प्रेचर वाले खार्दुंगला में अनशन के बाद मैं बच गया, तो आपसे फिर मिलूंगा।'
कौन हैं सोनम वांगचुक : बता दें कि 56 साल के सोनम वांगचुक मैकेनिकल इंजीनियर और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के निदेशक हैं। उन्हें साल 2018 में प्रतिष्ठित मैगसेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। साल 2009 में आई सुपरहिट फिल्म '3 इडियट्स' का मुख्य किरदार फुनसुख वांगड़ू असल में वांगचुक से ही प्रेरित था। Edited by Navin Rangiyal