बता दें कि झारखंड सरकार राज्य में 1932 का खतियान लागू करने की तैयारी में हैं। उन्होंने सदन नें कहा कि1932 का खतियान और ओबीसी के मामले में जल्द सरकार आगे बढ़ने वाली है। 1985 की स्थानीयता इन्होंने परिभाषित की। जब 85 की स्थानीयता घोषित हुई तो ताली बजाकर कह रहे थे कि 85 का ही खतियान बेस्ट है। इस सत्र के माध्यम से ये एहसास कराना चाहते हैं कि अब चोरी-डकैती, डराने धमकाने से काम नहीं चलेगा। खरीद-बिक्री की ताकत नहीं चलेगी। विधानसभा तो बाद में लोकसभा में ही इसका परिणाम मिल जाएगा।