तीन साल बाद किसान एक बार फिर सड़क पर आ गए है। देश की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर एक बार फिर जोर पकड़ता किसान आंदोलन मोदी सरकार के लिए चुनौती बनता हुआ दिख रहा है। एक ओर नोएडा के किसान अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली कूच के एलान के साथ बॉर्डर पर आ डटे है, वहीं दूसरी ओर पंजाब और हरियाणा के किसान 6 दिसंबर को MSP पर कानून की गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली कूच करने की तैयारी में है।
इस बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के किसानों के बार-बार आंदोलन करने को लेकर मोदी सरकार को घेरा है। किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहा संयुक्त किसान मोर्चा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान को कैसे ले रहा है, इसको लेकर वेबदुनिया ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत से एक्सक्लूसिव बातचीत की।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने मोदी सरकार पर खड़े किए सवाल?-एक बार फिर किसान आंदोलन के गर्माने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मोदी सरकार पर किसान आंदलन को लेकर सवाल खड़े किए है। मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंच पर मौजूद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछते हुए कहा कि कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है। मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइये, क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया?वादा निभाने के लिए हम क्या करें हैं? गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं।पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूँ कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है।
उपराष्ट्रपति का किसान आंदोलन पर बयान एक साजिश-किसान आंदोलन को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान पर वेबदुनिया ने संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता राकेश टिकैत से एक्सक्लूसिव बातचीत की। वेबदुनिया से बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि उपराष्ट्रपति जगदीप घनखड़ का बयान असल में सरकार की साजिश औऱ चाल है। किसान आंदोलन को विपक्ष सरकार से सवाल करें उसके पहले सरकार ने सवाल अपने ही लोगों से करवा दिया। राकेश टिकैत कहते हैं कि उपराष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक गरिमा वाला पद है, ऐसे में उपराष्ट्रपति से किसान आंदोलन पर प्रश्न करवा दो। वहीं उपराष्ट्रपति अपनी ही सरकार से प्रश्न कर रहे है तो यह सरकार का फेल्यिर है। असल में सरकार विपक्ष को कुछ कहना नहीं देना चाहती है। फिर भी अगर उन्होंने हमारे समर्थन में आवाज उठाई तो उनका धन्यवाद।
वहीं एक बार फिर किसानों के सड़क पर आकर आंदोलन करने पर किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि 22 जनवरी 2021 को आखिरी बार किसानों औऱ सरकार के बीच बातचीत हुई थी उसके बाद हमारी कोई बात नहीं हुई। सरकार ने किसानों से अपना कोई वादा नहीं निभाया केवल तीन काले कानून वापस किए थे। उसके बाद कोई मांग नहीं पूरी की गई। ऐसे में सरकार को किसानों से बात करना चाही। सरकार औऱ किसानों के बीच बातचीत का एक दौर शुरु होना चाहिए।
MSP गारंटी कानून क्यों जरूरी?-देश में एक बार किसान संगठन MSP गारंटी कानून की मांग को लेकर लामबंद हो रहे है। इस पर किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि किसान आज भी MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे है। वह कहते हैं कि अगर सरकार MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानून बनाती है तो सरकार फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है उससे कम पर कम पर व्यापार करने वाला कोई किसान की फसल खरीदी नहीं कर सकेगा।
वह कहते हैं कि MSP गारंटी कानून बनने के बाद बिहार का किसान, झारखंड का किसान, छत्तीसगढ़ का किसान जो सस्ते में अपनी फसल बेचता है तो वह सरकार की MSP से कम रेट पर फसल नहीं बेच पाएगा। MSP गारंटी कानून नहीं होने से व्यापारी किसानों की फसल की सस्ती खरीद करता है जो नहीं होना चाहिए। किसानों के नाम पर व्यापारी सस्ते में खरीद कर बेचता है।
वही मंगलवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के MSP को लेकर संसद पर दिए बयान पर किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि पहले सरकार यह बताएं कि वह कहा किसान को MSP दे रही है, जहां तक लोकसभा में बोलने की बात है तो वहां उनको कौन रोकने वाला है।