पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि सिद्धू ने कहा है कि वे कांग्रेस के कार्यकर्ता की तरह काम करते रहेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि सिद्धू इस बात से नाराज बताए जा रहे थे कि मुख्यमंत्री चन्नी उनसे किसी भी तरह का सलाह-मशविरा नहीं कर रहे थे। पहले अमरिंदर सिंह पर दबाव बना कर इस्तीफा लेना और फिर खुद इस्तीफा दे देना, हैरान करने वाला फैसला है।
20 अक्टूबर 1963 को पटियाला में जन्में सिद्धू 1983 में पहली बार टीम इंडिया के लिए खेले। उन्होंने टीम इंडिया के लिए 51 टेस्ट और 136 वनडे मैच खेले इस दौरान उन्होंने टेस्ट में 3202 और वनडे क्रिकेट में4,413 रन बनाए।
1999 तक उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में छक्के मारे और फिर भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक जगत में बल्लेबाजी करने लगे। 2004 में वे अमृतसर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 2014 तक वे यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते और जीतते रहे। 2014 में भाजपा ने अरुण जेटली को अमृतसर से चुनाव मैदान में उतारा। फिर क्या था नाराज सिद्धू ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया।
15 जनवरी 2017 को राहुल गांधी के घर पर नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा से कांग्रेस में आए थे। उनके साथ ही परगट सिंह भी कांग्रेस में आ गए। सिद्धू को कांग्रेस में लाने में अमरिंदर की बड़ी भूमिका थी। उन्होंने ही पूर्व क्रिकेटर को पंजाब सरकार में मंत्री भी बनाया। हालांकि कुछ दिनों बाद ही दोनों दिग्गजों में खटपट शुरू हो गई।
18 अगस्त 2018 में जब सिद्धू पाकिस्तान में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए तो इस पर देश में जमकर बवाल मचा। सीएम अमरिंदर ने भी इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। यहां दोनों की तकरार बढ़ी।
मई 2019 में सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। नवजोत कौर ने आरोप लगाया था कि उन्हे कैप्टन की वजह से ही टिकट नहीं मिला। इस समय कैप्टन और सिद्धू में तकरार काफी बढ़ गई थी।
एक माह बाद जून 2019 में अमरिंदर सरकार ने सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग लेकर उन्हें बिजली विभाग सौंप दिया। नाराज सिद्धू ने जुलाई 2019 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस समय दोनों दिग्गजों में तनाव चरम पर पहुंच गया।
पंजाब कांग्रेस में अमरिंदर के खिलाफ माहौल बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले सिद्धू को जुलाई 2021 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया। माना जा रहा है कि दोनों के तल्ख रिश्तों में इससे नरमी आएगी। बहरहाल ऐसा नहीं हो सका। सिद्धू के पदभार ग्रहण करते समय हुए समारोह में भी दोनों के बीच तल्खी नजर आई। इस समय कैप्टन के स्वर नरम थे तो सिद्धू काफी गुस्से में नजर आ रहे थे।
सिद्धू की नाराजगी की वजह से ही 18 सितंबर को अमरिंदर को सीएम पद छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। दरअसल 40 से ज्यादा विधायकों ने सोनिया को चिट्ठी लिखकर कैप्टन राज पर नाराजगी जताई थी। इस तरह मात्र 4.30 साल में सिद्धू सीएम पद की दौड़ में शामिल हो गए। बहरहाल आलाकमान ने जब उन्हें सीएम नहीं बनाया तो उनका गुस्सा बढ़ गया। चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम बनने के मात्र 10 दिन के भीतर भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया।