इससे पहले सुनवाई के दौरान रक्षा मंत्रालय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बाला सुब्रह्मण्यम ने कहा कि न्यायालय के गत 17 फरवरी के आदेश पर अमल का निर्णय अंतिम चरण में है। सुब्रह्मण्यम ने खंडपीठ से कहा कि कार्यालय आदेश कभी भी जारी किया जा सकता है, लेकिन कोरोना को देखते हुए और वक्त दिया जाना चाहिए।
खंडपीठ ने महिला सैन्य अधिकारियों की ओर से पेश वकील मीनाक्षी लेखी से पूछा कि क्या सरकार को और वक्त नहीं दिया जाना चाहिए? इस पर सुश्री लेखी ने कहा कि समय दिया जा सकता है, लेकिन शीर्ष अदालत खुद इसकी निगरानी करे।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी के अपने आदेश में कहा था कि उन सभी महिला अधिकारियों को तीन महीने के अंदर सेना में स्थायी कमीशन दिया जाए, जो इस विकल्प को चुनना चाहती हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस दलील को निराशाजनक बताया था, जिसमें महिलाओं को कमांड पोस्ट न देने के पीछे शारीरिक क्षमताओं और सामाजिक मानदंडों का हवाला दिया गया था। (वार्ता)