Manipur Violence : सुप्रीम कोर्ट ने जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में इंटरनेट पर लगातार जारी प्रतिबंध के खिलाफ राज्य के 2 लोगों की ओर से दायर की गई याचिका पर शुक्रवार को तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बेस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के पास भी ऐसा ही एक मामला है।
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई कर रहा है। कार्यवाहियों के दोहराव की जरूरत क्या? नियमित पीठ के पास जिक्र करिए। अधिवक्ता शादान फ़रासत ने पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था।
सुप्रीम कोर्ट सी विक्टर सिंह तथा एम जेम्स की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में कहा गया था कि प्रतिबंध, बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के संवैधानिक अधिकार तथा इंटरनेट को संवैधानिक रूप से संरक्षित माध्यम के तौर पर इस्तेमाल कर कोई व्यवसाय या कारोबार चलाने के अधिकार में हस्तक्षेप करता है।
गौरतलब है कि मंगलवार को मणिपुर सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध 10 जून तक के लिए बढ़ा दिया था।
आयुक्त (गृह) एच ज्ञान प्रकाश द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया कि ब्रॉडबैंड सहित मोबाइल डेटा सेवाओं का निलंबन 10 जून दोपहर तीन बजे तक बढ़ा दिया गया है। यह प्रतिबंध 3 मई को लगाया गया था।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं। इन झड़पों में कम से कम 100 लोग मारे जा चुके हैं और 310 अन्य घायल हुए हैं। वहीं, 37,450 लोग फिलहाल 272 राहत शिविरों में रह रहे हैं।