नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने लखनऊ में सीएए-विरोधी प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ के आरोपियों के पोस्टर लगाने की उत्तरप्रदेश सरकार की कार्रवाई का समर्थन करने के लिए फिलहाल कोई कानून नहीं होने की बात करते हुए गुरुवार को इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया और रजिस्ट्री को मामले के रिकॉर्ड प्रधान न्यायाधीश के सामने रखने के लिए कहा।
इससे पहले पीठ ने उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यह मामला बेहद महत्वपूर्ण है। पीठ ने मेहता से पूछा कि क्या राज्य सरकार के पास ऐसे पोस्टर लगाने की शक्ति है। हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए।