न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने केंद्र से कहा कि वह उन अभ्यर्थियों को एक अवसर और प्रदान करने पर विचार करे, जो कोविड महामारी की वजह से अपने अंतिम प्रयास में शामिल नहीं हो सकेंगे।
संघ लोकसेवा आयोग ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि 4 अक्टूबर को परीक्षा के आयोजन के लिए सभी जरूरी तैयारियां कर ली गईं हैं। यूपीएससी का कहना था कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यह परीक्षा 31 मई को होनी थी लेकिन इसे बार स्थगित करने के बाद अंतत: 4 अक्ट्रबर को कराने का निर्णय किया गया है। आयोग ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ये भारत सरकार की मुख्य सेवाओं के लिए परीक्षा है ओर इसे अब स्थगित करना असंभव है। (भाषा)