परमबीर को सुप्रीम कोर्ट का झटका, कहा- पहले बताओ कहां हो, फिर मिलेगी सुरक्षा

गुरुवार, 18 नवंबर 2021 (16:44 IST)
नई ‍दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को अपना पता बताने का निर्देश देते हुए कहा कि 'जब तक हमें यह नहीं पता चल जाता कि आप कहां हैं तब तक कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी, कोई सुनवाई नहीं होगी। सिंह ने न्यायालय से सुरक्षात्मक आदेश देने का अनुरोध किया है।
 
न्यायालय ने उनके वकील को सिंह का पता बताने का निर्देश दिया और पूर्व पुलिस आयुक्त की ओर से उनके पॉवर ऑफ अटॉर्नी की याचिका 22 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी। न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि सुरक्षा देने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए दायर की गई है। 
 
पीठ ने कहा कि आप सुरक्षात्मक आदेश देने का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन कोई नहीं जानता कि आप कहां हैं। मान लीजिए आप विदेश में बैठे हैं और पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए कानूनी सहारा ले रहे हैं तो क्या होगा। अगर ऐसा है, तो अदालत यदि आपके पक्ष में फैसला देती है तभी आप भारत आएंगे, हम नहीं जानते कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है। जब तक हमें यह पता नहीं चल जाता कि आप कहां हैं, तब तक कोई सुरक्षा नहीं, कोई सुनवाई नहीं होगी।
 
न्यायालय ने कहा कि याचिका पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए दायर की गई है। आप कहां हैं। आप देश में हैं या देश से बाहर? जब हमें पता चलेगा कि आप कहां हैं तभी हम आगे कुछ करेंगे?
 
मुंबई में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को सिंह को उनके खिलाफ दर्ज वसूली मामले में ‘भगोड़ा अपराधी’ घोषित किया। सिंह इस साल मई में आखिरी बार कार्यालय आए थे, जिसके बाद वह अवकाश पर चले गए। राज्य पुलिस ने बंबई उच्च न्यायालय को पिछले महीने बताया कि सिंह के बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है।
 
वसूली मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने उन्हें भगोड़ा घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि आईपीएस अधिकारी को गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद भी उनका पता नहीं चल सका है।
 
गोरेगांव पुलिस थाने में दर्ज इस मामले में पूर्व सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे भी आरोपी है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसबी भाजीपले ने बुधवार को सिंह के अलावा सह-आरोपियों विनय सिंह और रियाज भट को भी भगोड़ा अपराधी घोषित किया।
 
रियल स्टेट डेवलपर और होटलों के मालिक बिमल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उसके दो बार और रेस्त्रां पर छापे न मारने की एवज में उससे 9 लाख रुपए वसूले थे और उसे उनके लिए 2.92 लाख रुपए के दो स्मार्टफोन खरीदने के लिए भी विवश किया था। उसने दावा किया था कि ये घटनाएं जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच की हैं।
 
उसकी शिकायत के बाद छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384 और 385 के तहत एक मामला दर्ज किया गया। सिंह ठाणे में भी वसूली के एक मामले का सामना कर रहे हैं।
 
मार्च 2021 में पद से हटाया था : आईपीएस अधिकारी को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से मार्च 2021 में तब हटा दिया गया था जब उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास ‘एंटीलिया’ के पास एक एसयूवी से विस्फोटक पदार्थ बरामद होने के मामले में वाजे को गिरफ्तार किया गया था। विस्फोटक पदार्थ मिलने के बाद ही ठाणे के उद्योगपति मनसुख हिरेन का शव मिला था।
 
इसके बाद सिंह को होम गार्ड्स का महानिदेशक नियुक्त किया गया, जिसके बाद उन्हेांने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। बाद में देशमुख को भी मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और सीबीआई ने सिंह के आरोपों पर उनके खिलाफ एक मामला दर्ज किया।

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