तत्काल सुनवाई के लिए अन्य याचिकाओं का उल्लेख किया : सिब्बल के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और वकील निजाम पाशा ने भी तत्काल सुनवाई के लिए अन्य याचिकाओं का उल्लेख किया। प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाओं को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मामलों का मौखिक उल्लेख करने के चलन को समाप्त कर दिया है। उन्होंने वकीलों से मामलों को पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कराने के लिए पत्र दाखिल करने या मेल भेजने को कहा।
जमीयत ने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनने की एक खतरनाक साजिश है इसलिए हमने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है और जमीयत उलमा-ए-हिंद की राज्य इकाइयां भी अपने-अपने राज्यों के उच्च न्यायालयों में इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देंगी।(भाषा)