न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने अपनी और प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि मौजूदा मामले में 1994 का फैसला प्रासंगिक नहीं है क्योंकि उक्त निर्णय भूमि अधिग्रहण के संबंध में सुनाया गया था। हालांकि इस खंडपीठ के तीसरे न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर बहुमत के फैसले से सहमत नहीं थे।