अकबरुद्दीन ने कहा कि हमारे सवालों का किसी ने जवाब नहीं दिया। जो लोग (चीनी और पाकिस्तानी राजदूत) यहां आए थे, वो ऐसे ही चले गए। एक खुले लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में मैं (सवालों के) जवाब देने को तैयार हूं।
उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र फले-फूले, इसके लिए शांति बरकरार रहना बेहद जरूरी है। इसलिए जायज प्रतिबंध लगाए गए हैं। हम उनमें ढील दे रहे हैं। हमें यहां नहीं तय करना चाहिए कि इसे कितनी तेजी से और कैसे करना है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारी दिशा और चाल तय है। हो सकता है आप इस स्पीड से खुश न हों, ऐसे और भी लोग हो सकते हैं, लेकिन जमीन पर ऐसे लोग काम कर रहे हैं जो समर्पित हैं और लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए प्रतिनिधियों के अधीन काम कर रहे हैं, वही इस बारे में तय करेंगे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि भारत एक जीवंत, संपन्न लोकतंत्र है और हम रोज इसे जीते हैं।