आंकड़ों के मुताबिक, कश्मीर में 32 सालों में ढेर किए गए 25 हजार से अधिक आतंकियों में 13 हजार विदेशी आतंकी थे और इनमें एक हजार के लगभग अफगान मुजाहिदीन अर्थात तालिबानी भी थे जिन्हें आतंकवाद के शुरुआती दिनों में मार गिराया गया था।
अब जबकि एक बार फिर पड़ौस में तालिबान ने सिर उठा लिया है, तो कश्मीर में तैनात सुरक्षाबल चिंतित होने लगे हैं। पहले से ही वे स्थानीय नागिरकों के आतंकवाद की ओर बढ़ते कदमों के साथ ही आईएसआईएस से भी जूझ रहे थे और उन्हें वे सूचनाएं व चेतावनियां परेशान करने लगी हैं जिनमें कहा जा रहा है कि पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद में नई जान फूंकने की खातिर तालिबानियों का सहारा ले सकता है।
कश्मीर में कई सालों तक आतंकियों से निपटने वाले कश्मीर पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि भारतीय सुरक्षाबलों के लिए आतंकी, आतंकी ही होता है चाहे वह पाकिस्तानी हो या फिर अफगानी। वे कश्मीर में पिछले 32 सालों में मार गिराए गए 25 हजार से अधिक आतंकियों का हवाला देते हुए कहते थे कि किसी को भी शांति भंग करने का अवसर नहीं दिया जा सकता।
पर गुप्तचर संस्थाएं आशंकित जरूर थीं। उनकी आशंका, विदेशी भाड़े के सैनिकों द्वारा हमेशा कश्मीर में मचाई गई तबाही रही है। यह सच है कि कश्मीर में जब सहायता की खातिर कश्मीरी आतंकियों ने अफगान मुजाहिदीनों को न्यौता दिया तो उनके कुकृत्यों से कश्मीरी जनता इतनी त्रस्त हो उठी की अंततः कश्मीरी जनता ने आप ही तथाकथित आजादी की जंग से मुंह मोड़ लिया और कश्मीरी जनता ही फिर इन अफगान मुजाहिदीनों के लिए मौत का कारण बन गई।