जानकारी के लिए जिन टैंकों अर्थात बीएमपी-2 का इस्तेमाल किया गया, वे एक बख्तरबंद वाहन हैं यानी इन पर गोलियों और आईईडी का कोई असर नहीं होता है। मेन वेपन के तौर पर इस वाहन पर 30 एमएम की आटो कैनन अटैच होती है। ये 1 मिनट के अंदर 800 राउंड फायरिंग कर सकती है। ऑटो कैनन के साथ ही बीएमपी-2 पर एक हैवी मशीनगन भी लगी होती है।
यह कश्मीर की पहली ऐसी मुठभेड़ भी कही जा सकती थी जिसमें पहली बार इजराइल से प्राप्त हरोन मार्क 2 जैसे खतरनाक ड्रोन का इस्तेमाल आतंकियों के संभावित ठिकानों पर बमबारी करने में किया गया था जबकि आतंकी ऊंची पहाड़ी पर थे, जहां पहुंच मुश्किल थी और इसकी खातिर सेना ने छाताधारी सैनिकों को उतारने के साथ ही मीडियम रेंज के तोपखानों से भी गोले बरसाए गए थे।