रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेजस एलसीए एमके-1ए की तीसरी उत्पादन लाइन और हिंदुस्तान टर्बो ट्रेनर (HTT-40) की दूसरी उत्पादन लाइन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 6 दशकों से भी अधिक समय से HAL नासिक ने भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमता को नई ऊंचाई तक पहुंचाने में एक मजबूत पिलर की भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं यह कैंपस महज एक इमारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। जब मैं आत्मनिर्भरता की बात कर रहा हूं तो मेरे जहन में वो पूरी यात्रा चल रही है जिसकी शुरूआत हमने 2014 से की है। एक समय था जब देश में रक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमारा देश दूसरे देशों पर निर्भर था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। अब भारत 65% विनिर्माण अपनी ही धरती पर कर रहा है और बहुत जल्द हम अपने घरेलू विनिर्माण को 100% तक ले जाना चाहते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014-15 में जहां हमारा डिफेंस प्रोडक्शन 46,429 करोड़ रुपए था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 1,46,000 करोड़ रुपए से भी अधिक हो गया है। यह हमारे देश की आत्मनिर्भरता की उड़ान है।
उन्होंने कहा कि जब मैंने आज सुखोई Su-30, एलसीए तेजस और HTT-40 को उड़ान भरते देखा, तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। ये उड़ान, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल है। एचएएल ने भारत के लिए एक मजबूत स्तंभ के रूप में काम किया है। 60 से अधिक वर्षों से, एचएएल नासिक ने भारत की रक्षा निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है दूसरी ओर, यह विनाश का भी प्रतिनिधित्व करता है और इसमें शत्रुओं को समाप्त करने की शक्ति होती है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 25 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो कुछ साल पहले एक हजार करोड़ रुपए से भी कम था। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने अब 2029 तक घरेलू रक्षा विनिर्माण में तीन लाख करोड़ रुपए और रक्षा निर्यात में 50 हजार करोड़ रुपए हासिल करने का लक्ष्य रखा है।