Terrorism in Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर के रियासी में शिवखोड़ी से लौट रहे श्रद्धालुओं पर हुए आतंकी हमले के उपरांत सुरक्षा अधिकारियों ने कई रहस्योद्घाटन कर सभी को न सिर्फ चौंकाया है बल्कि पहाड़ी इलाकों में सफर करने वालों की चिंता भी बढ़ा दी है। हालांकि इन रहस्योद्घाटनों के उपरांत प्रदेश के आतंकवादग्रस्त पहाड़ी इलाकों में सैन्य वाहनों की सुरक्षा की खातिर तो उपाय किए जा रहे हैं पर असैन्य वाहनों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
9 जून को हुआ था यात्री वाहन पर हमला : अगर घटनाक्रमों पर एक नजर दौड़ाएं तो आतंकियों ने पहले भी राजौरी व पुंछ में दो बार, 21 दिसंबर 2023 में डेरा की गली में तथा 4 मई 2024 को सुनह नाले के पास, सैन्य वाहनों पर पहाड़ी मोड़ों पर हमले उस समय किए थे, जब सैन्य वाहनों ने तीखे मोड़ पर अपने वाहनों की स्पीड को धीमा किया था। और 9 जून को त्रेयठ में श्रद्धालुओं को ले जा रहे यात्री वाहन पर भी पहली बार इसी रणनीति को अपना हमला किया तो 10 की जान चली गई।
उसके उपरांत 13 मई 2022 को भी कटरा से लौट रही श्रद्धालुओं से भरी बस में स्टिकी बम लगाकर हमला किया गया था। बस में आग लगने से तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 24 लोग घायल हुए थे। 11 जुलाई 2017 को अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों की बस पर हमला करते हुए आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। इसमें 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 19 घायल हुए थे। मरने वाले सभी श्रद्धालु गुजरात के थे।
अब जबकि आतंकियों द्वारा यात्री बसों व असैन्य वाहनों पर हमले की रणनीति को एक बार फिर से अपनाया जाने लगा है, सुरक्षाबलों के लिए परेशानी बढ़ गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहाड़ी इलाकों में देर सबेर चलने वाले वाहनों को सुरक्षा प्रदान करना असंभव है। इतना जरूर था कि प्रशासन अतीत की तरह आतंकवादग्रस्त इलाकों में एक बार फिर रात के समय चलने पर पाबंदियां थोपने पर विचार कर रहा है और अगर ऐसा होता है तो शांति लौटने के दावों की धज्जियां उड़ जाएंगी।