जम्मू। जम्मू फ्रंटियर की 198 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीसियों नदी-नाले बीएसएफ के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं। कारण स्पष्ट है। आतंकी तारबंदी को न पार कर घुसपैठ के लिए इन नदी-नालों का सहारा ले रहे हैं जहां लेजर बाड़ भी लगाई गई है, पर फिर भी सीमा पार करने में उनकी कामयाबी बीएसएफ की कार्यप्रणाली पर शक पैदा करने लगी है।
जम्मू सीमा पर घुसपैठ रोकने की खातिर उठाए गए कदमों पर सवाल इसलिए उठने लगे हैं क्योंकि सूत्रों का दावा है कि सुंजवां में 22 अप्रैल को मुठभेड़ में मारे गए आतंकी सांबा की बसंतर नदी से घुसपैठ कर भारतीय सीमा में घुसे थे। रक्षा सूत्रों की मानें तो 21-22 अप्रैल की मध्य रात्रि को दोनों विदेशी आतंकियों ने सांबा जिले के सीमावर्ती गांव बैनगलाड़ के साथ लगती बसंतर नदी से घुसपैठ की थी। इसके बाद वह दोनों किसी की मदद से राष्ट्रीय राजमार्ग तक पहुंचे थे और फिर ट्रक में बैठकर जम्मू के सुंजवां पहुंचे थे।
198 किमी लंबे जम्मू के इंटरनेशनल बार्डर पर करीब 200 ऐसे नदी-नाले हैं जहां इतने सालों के बाद भी तारबंदी संभव नहीं हो पाई है और एलओसी पर घुसपैठ को 'नकेल' डाल दिए जाने के बाद आतंकियों ने जम्मू सीमा का रुख किया तो उन्हें इन्हीं नदी-नालों ने सहारा दे डाला है।
पर एक रोचक बात सांबा के बसंतर दरिया की यह है, जहां से सुंजवां के हमलावरों ने घुसपैठ की थी, कि वहां लेजर बाड़ लगाई गई है। बीएसएफ का दावा है कि इस लेजर बाड़ को पार करने की कोशिश पर अलार्म बजता है तथा थर्मल इमेजस भी रिकार्ड होती है और इन दावों के बावजूद सुंजवां के हमलावरों ने कैसे बसंतर को पार कर लिया, कोई जवाब नहीं है इस सच्चाई के बावजूद कि पहले भी जम्मू बार्डर से इन्हीं नदी-नालों का इस्तेमाल आतंकी घुसपैठ के लिए करते रहे हैं।
एलओसी पर तेजी से पिघलती बर्फ के बाद घुसपैठ रोकने की चिंता : जम्मू कश्मीर में एलओसी और इंटरनेशनल बार्डर पर तैनात भारतीय सेना को खुशी इस बात की है कि इस साल अभी तक उसने घुसपैठ को थाम रखा है, पर आने वाले दिनों में उसकी मुश्किलें इसलिए बढ़ने वाली हैं क्योंकि तापमान में वृद्धि के बाद एलओसी के पहाड़ों से तेजी से पिघलती बर्फ के बाद पाक सेना अपने प्रयासों में बिजली सी तेजी ला सकती है। यही नहीं आतंकियों को घुसेड़ने की खातिर वह सीजफायर की बलि भी देने से पीछे नहीं हटेगी।
जम्मू कश्मीर की ऊंची पहाडियों पर बर्फ पिघलने के साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की ओर से घुसपैठ से निपटने के लिए एलओसी पर सुरक्षाबलों ने सतर्कता बढ़ा दी है। गर्मियों में ऊंची पहाडियों पर बर्फ पिघलने के साथ ही सीमा पार से घुसपैठ की आशंका बढ़ जाती है। इस घुसपैठ से निपटने के लिए सेना और सुरक्षाबल विशेष कदम उठाते हैं।
सेना की उत्तरी कमान के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में क्षेत्रीय कमांडरों के साथ विचार-विमर्श भी किया है और घुसपैठ रोकने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी ली है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण एलओसी पर तारबंदी को भारी नुकसान हुआ है। हालांकि घुसपैठ रोकने के लिए सेना के जवान सतर्क रहे हैं और घुसपैठ के ज्यादातर प्रयास विफल कर दिए गए। वैसे सेना के इस दावे से राज्य पुलिस और खुफिया एजेंसियां सहमत नहीं हैं।
एक रक्षाधिकारी के बकौल अभी सारा ध्यान एलओसी पर केंद्रित है क्योंकि इस बार भीषण गर्मी के कारण बर्फ तेजी से पिघल रही है और घुसपैठ के पारंपारिक रास्ते समय से पहले खुलने लगे हैं। उनका कहना था कि भीतरी इलाकों में जो भी आतंकी हैं, वे तो वहीं रहेंगे। अभी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि एलओसी पर घुसपैठ रोधी ग्रिड को और सख्त किया जाए। हालांकि संघर्ष विराम समझौता अभी भी अमल में है, मगर बर्फ पिघलने के साथ ही घुसपैठ का मौसम शुरू हो जाएगा।
दूसरे अधिकारी ने कहा कि इसके पीछे का पूरा विचार यह है कि कोई भी इंफिल्ट्रेशन (घुसपैठ) या एक्सफिल्ट्रेशन (सीमा पार जाना) नहीं होना चाहिए। एलओसी से न कोई अंदर आ पाए और न ही कोई बाहर जाए। घाटी के भीतर जो भी आतंकी छिपे हैं, उनका तो वैसे भी मुकाबला किया जाएगा, क्योंकि वहां अभियान लगातार जारी है और उन्होंने इसे स्वीकार किया कि एलओसी पर अतिरिक्त कुमुक भिजवाई जा रही है।