सुनीता ने आज सुबह वीरेंद्र के साथ बातचीत के बाद कहा, आज हमने लगभग 10 मिनट तक बात की। उन्होंने (वीरेंद्र) आज सुबह खाना नहीं खाया। उन्होंने मुझसे कहा कि वह खाना नहीं खाना चाहते। हम अब बहुत चिंतित हैं। वह बहुत तनावग्रस्त और बेचैन लग रहे थे। वह हमसे लगातार पूछ रहे थे कि वे कब बाहर आएंगे।
बिहार की रहने वाली सुनीता अपने पति देवेंद्र और वीरेंद्र की पत्नी के साथ घटनास्थल पर आई हैं। वीरेंद्र के बड़े भाई देवेंद्र ने कहा कि अधिकारी उन्हें हर दिन उम्मीद दे रहे हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। देवेंद्र ने निराशा भरे स्वर में कहा, पिछले दो दिनों से हमें अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया जा रहा है कि उन्हें (फंसे हुए श्रमिकों को) जल्द ही निकाला जा रहा है, लेकिन कुछ न कुछ होता रहता है और प्रक्रिया विलंबित हो जाती है।
फंसे हुए श्रमिकों और उनके रिश्तेदारों के बीच बातचीत छह इंच चौड़े पाइप के माध्यम से हो रही है। इस पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी डाला गया है, जिससे बचावकर्मियों और फंसे व्यक्ति के रिश्तेदारों को अंदर की स्थिति देखने को मिली। बचावकर्मी अब फंसे श्रमिकों के लिए बाहर का रास्ता बनाने के लिए मलबे के बीच एक चौड़ा पाइप डालने की कोशिश कर रहे हैं।
सुरंग के टूटे हुए हिस्से में ड्रिलिंग शुक्रवार से रोक दी गई क्योंकि ऑगर मशीन को एक के बाद एक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। मौके पर मौजूद एक सुरंग विशेषज्ञ ने शनिवार को कहा कि मशीन टूट गई है। बचावकर्ता अब अन्य विकल्प तलाश रहे हैं जैसे कि 10 से 12 मीटर के शेष हिस्से को हाथ से ड्रिलिंग करना या अंदर फंसे 41 मजदूरों के लिए एक लंबवत मार्ग बनाना।
चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour