बम धमाकों का खौफ, ATM खाली हुए, खाने के लाले, जानिए यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की आपबीती

यूक्रेन में भारी तबाही के बाद सैन्य तख्ता पलट की तैयारी चल रही है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन से मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कही है। ऐसे में दोनों देशों में दहशत का माहौल है और हर कोई युद्ध की विभीषिका से बचकर सुरक्षित स्थान पर जाना चाहता है। यूक्रेन में भारतीय छात्र बड़ी संख्या में फंसे हुए हैं और वह बंकरो और तहखानों में छिपकर अपनी जान बचा रहे हैं। भारतीय छात्र अपने परिजनों और सरकार से सुरक्षित वतन लौटने के लिए गुहार लगा रहे है। 
 
यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे मेरठ के अनेक छात्रों को बड़ा झटका लगा है। रूस और यूक्रेन में बढ़ते तनाव के चलते इन भारतीय स्टूडेंट्स को 25 फरवरी के दिन भारत आना था। रूस की तरफ से हुई बमबारी के चलते यूक्रेन में एयरपोर्ट खाली करा लिया गया और इन छात्रों की भारत आने की उम्मीदें टूट गईं। 
अपने जिगर के टुकड़ों को युद्ध विभीषिका में फंसे देखकर परिजन परेशान है और वह पूजा-पाठ और ईश्वर से बच्चों की सुरक्षा की प्रार्थना कर रहे हैं। मेरठ के रहने वाले प्रियांशु के पिता विनोद प्रभाकर का कहना है कि शुक्रवार में हुई बमबारी के बाद बच्चों का यूक्रेन से निकलना मुश्किल हो गया है। जिसके चलते उन्हें अपने बेटे प्रियांशु की चिंता सता रही है।

हालांकि उनकी प्रियांशु से बात हो रही है, बेटे का कहना है कि भारत के सभी छात्रों को यूनिवर्सिटी कैंपस में कर दिया गया है, लेकिन जब लड़ाकू विमान यूनिवर्सिटी के ऊपर से गुजरते हैं और बमबारी की तेज आवाजें सुनाई देती है तो परेशान हो जाते है। विनोद से जब भारत सरकार से सुरक्षा की गुहार लगाने की बात कही तो वे नाराज हो गए। उनका कहना था कि सिर्फ भारत सरकार को चुनाव की चिंता है न की हमारे बच्चों की सुरक्षा की। 
 
प्रियांशु के पिता ने कहा कि भारत से पढ़ने गए हुए बच्चे यूक्रेन के एक बंकर में बैठे हुए हैं। भारतीय दूतावास ने छात्रों से कहा है कि वह रोमानिया आ जाएं। रोमानिया यूक्रेन से लगभग 800 किलोमीटर दूर है, युद्ध का माहौल है, ऐसे में डरे-सहमे छात्र कैसे गोलीबारी के बीच में रोमानिया पहुंच सकते है।

मेरठ किठौर क्षेत्र का रहने वाला अमन 5 फरवरी को MBBS की पढ़ाई के लिए यूक्रेन के खारकीव गया था। लेकिन कुछ दिन बाद ही वह रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध में फंस गया है। अमन ने अपने परिजनों को फोन पर बताया कि यहां पर ATM खाली हो चुके हैं और वह अपने साथियों के साथ बंकर में शरण लिए हुए है। खाना भी एक समय मुश्किल से खा पा रहे हैं। अमन ने परिवार से कहा कि छात्र खुद कोशिश कर रहे हैं, किसी तरह  पोलैंड पहुंच जाएं और वहां से भारत आ सकें। 
 
किठौर की छात्रा उरूज फातिमा भी MBBS सेकंड ईयर की छात्रा है और अल्वीव में फंसी हुई है। फातिमा ने अपने परिवार को एक फोटो भेजकर बताया वह साथियों के साथ बंकर में है और सभी लोग शुक्रवार को अल्वीव में हुई गोलीबारी से सहमे हुए हैं। सभी मेरठ और किठौर के रहने वाले छात्र कोशिश कर रहे हैं कि पोलैंड पहुंच जायें। पोलैंड आपातकाल के चलते विदेशी छात्रों को 15 दिन का बीजा मुफ्त उपलब्ध करवा रहा है।

यूक्रेन में कानपुर की बेटी जेन्सी सिंह भी MBBS की पढ़ाई के लिए गई हुई है। रूस और यूक्रेन के बीच मिसाइल के गोलबारी से आहत है और जल्दी ही भारत आने के लिए बेचैन है। जेन्सी ने अपने परिजनों को व्हाट्सऐप पर मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट का एक वीडियो बनाकर यूक्रेन की स्थिति दिखाई है। बेटी को मुश्किलों में देखकर परिवार परेशान हो गया है और भारत सरकार से बच्चों को सुरक्षित इंडिया लाने की अपील कर रहा है।

उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के बिधूना कस्बे में रहने वाली संगीता की बेटी यूक्रेन में MBBS की पढ़ाई के लिए गई हुई है। जैसे ही रूस पर यूक्रेन की हमले की खबरें आई तो संगीता ने अपनी बेटी शिवानी से व्हाट्सएप पर बात की तो उसने मां से जल्दी घर आने की बात कही है। शिवानी 1 सितंबर को MBBS की पढ़ाई के लिए यूक्रेन आई है और वह पिछले चार सालों से यूक्रेन में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। संगीता अपनी बेटी को युद्ध के वातावरण में फंसा देखकर दुखी है और भारत सरकार से गुजारिश कर रही है कि जल्दी ही बेटी को वापस भारत लाया जाए।

भारत भी यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों और नागरिकों को वतन लाने के लिए प्रयास कर रहा है। भारत ने यूक्रेन की सीमाओं से लगे चार देश हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया रिपब्लिक की सीमाओं के रास्ते छात्रों को स्वदेश लाने का फैसला लिया है।  विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इन चार देशों के दूतावासों से टीम यूक्रेन की जमीनी सीमा की तरफ रवाना कर दी है और इन टीमों के नंबर भी जारी किए गए है, फंसे छात्र इन टीमों से फोन पर सम्पर्क साध सकते हैं। ये टीमें यूक्रेन की सीमा पार कराकर विमान के जरिए भारतीय छात्रों को स्वदेश भेजने में मदद करेंगी।
 

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