ट्रेन-18 के दोनों छोरों का डिजाइन परंपरागत रेलगाड़ी से काफी अलग है और इसमें अलग से इंजन लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। इस 'सेल्फ प्रोपेल्ड' ट्रेन के सभी कोच वातानुकूलित कुर्सीयान है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि यह शताब्दी एक्सप्रेस के विकल्प के तौर पर सामने आ सकती है।
इस ट्रेन को 100 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है, जो इस ट्रेन को विदेश से मंगाए जाने की स्थिति में लगभग दोगुना यानी 200 करोड़ रुपए होता। रेलगाड़ी में लगे 80 फीसदी कलपुर्जे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी 'मेक इन इंडिया' के तहत देश में ही बनाए गए हैं। (वार्ता)