दो अफवाहें जिनसे सुलगा नागपुर, सरकार और शहर दोनों आपके, फिर हिंसा की साजिश का आरोप किस पर लगा रही बीजेपी?

शहर आपका। सरकार आपकी। पुलिस आपकी। मुख्‍यमंत्री भी इसी शहर का। मंत्री भी इसी शहर का। यहां तक कि सरकार का थिंक टैंक आरएसएस का मुख्‍यालय भी इसी शहर में। फिर आपका यह शहर आप ही की आंखों के सामने कैसे जल गया? और आपको कानों-कान खबर तक नहीं हुई। सरकार और पुलिस भी आपकी है तो जाहिर है खुफिया एजेंसी भी आपकी ही हैं, इसके बावजूद आपको उस साजिश की भनक तक नहीं लगी,  जिसे पूरी योजना के तहत अंजाम दिया गया?

सोमवार की दोपहर में नागपुर में दो पक्षों के बीच शुरू हुई हिंसा के बाद मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप-मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे और स्‍थानीय विधायक प्रवीण दटके बार बार यह आरोप लगा रहे हैं कि नागपुर में घटी हिंसा पूरी तरह से सुनियोजित है।

केंद्रीय मंत्री और नागपुर से सांसद नितिन गडकरी ने कहा, 'कुछ अफवाहों के कारण नागपुर में धार्मिक तनाव की स्थिति पैदा हुई है। ऐसे में सवाल तो आपसे पूछा जाना चाहिए कि इतनी बड़ी हिंसा को अंजाम देने की तैयारी थी और सरकार के किसी नुमाइंदे को भनक तक नहीं लगी।

पुलिस ने अफवाह क्‍यों नहीं रोकी : दरअसल, औरंगजेब का पुतला जलाने के बाद नागपुर में बड़ा बवाल हो गया, क्योंकि पुतले पर हरी चादर थी। ऐसी अफवाह है कि हरी चादर पर मजहबी बातें लिखी हुईं थी। जिससे मुस्लिम आहत हो गए। इसका विरोध जताते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास इकट्ठा हो गए। उन्होंने पथराव कर दिया और कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की और आसपास के इलाके में आग लगी दी। इन सारी अफवाहों के मैसेज और फोटोग्राफ्स व्‍हाट्सएप पर दिनभर वायरल होते रहे, लेकिन इन पर पुलिस और प्रशासन ने तो ध्‍यान ही दिया और न ही कंट्रोल किया।

सांप्रदायिक सौहार्द का गढ़ है महल : बता दें कि नागपुर के जिस इलाके महल से हिंसा की शुरुआत हुई वो हिंदू मुस्‍लिम भाईचारे के लिए जाना जाता है। यहां कपड़ों के हिंदू व्‍यापारियों समेत पूजा सामग्री बेचने वाले मुस्‍लिम और शादी के कार्ड आदि बनाने वाले दोनों समुदायों के लोग भाईचारे और सौहार्द के साथ रहते हैं। ऐसे में अगर वहां किसी तरह की गतिविधि को अंजाम दिया गया और उसके बाद अफवाह फैली तो उसे रोकने में पुलिस और प्रशासन नाकाम क्‍यों रहे? क्‍यों अफवाह फैलाने वालों पर शिकंजा नहीं कसा गया?

बता दें कि नागपुर में ताजउद्दीन बाबा के दरबार में जाने वालों में सबसे ज्‍यादा संख्‍या हिंदुओं की है। वहीं रामनवमी पर कई मुस्‍लिम भगवान राम के रथ को कांधा देते हैं, ऐसे नागपुर में ये साजिश किसने सफल होने दी।

दो अफवाहें जो आग बन गई : नागपुर में औरंगजेब की कब्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद दोनों गुटों के बीच टकराव के बाद यह आग फैली। पहले महल और फिर हंसापुरी में हिंसा हुई। जिसके पीछे की वजह अफवाह थी। हिंसक झड़प में दो समुदायों के युवकों ने एक दूसरे पर पत्थर फेंके, कुछ गाड़ियां तोड़ी गईं, आगजनी हुई। डीसीपी निकेतन कदम पर भी हमला हुआ, गंभीर हालत में डीसीपी कदम को अस्पताल में भर्ती कराया गया। डीसीपी नागपुर अर्चित चांडक ने कहा, 'यह घटना कुछ गलतफहमी के कारण हुई। स्थिति अभी नियंत्रण में है। यहां हमारा बल मजबूत है। हिंसा भड़कने की वजह दो अफवाहें थी। बजरंग दल और विश्‍व हिंदू परिषद के विरोध प्रदर्शन के बीच पहली अफवाह यह फैली कि एक धार्मिक ग्रंथ को नुकसान पहुंचाया गया है। वहीं, दूसरी अफवाह कुछ असामाजिक तत्‍वों द्वारा ये फैलाई गई कि पवित्र चादर को आग लगा दी गई है। हालांकि, कहीं भी ऐसा कुछ भी नहीं था।

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