फैसले से उत्साहित उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्होंने कहा कि शिंदे गुट ने मेरी पार्टी और मेरे पिता की विरासत को धोखा दिया। सीएम के रूप में मेरा इस्तीफा तब कानूनी रूप से गलत हो सकता था, लेकिन मैंने इसे नैतिक आधार पर दिया। गद्दार लोगों के साथ सरकार कैसे चलाता? उन्होंने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल कोश्यारी को सत्र बुलाने का अधिकार नहीं था। असली शिवसेना आज भी मेरे पास है।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि अगर शीर्ष अदालत ने पाया है कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत खेमे के सुनील प्रभु आधिकारिक सचेतक थे तो इस टिप्पणी के हिसाब से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 16 बागी विधायक अयोग्य साबित होते हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार बनाने की प्रक्रिया ही अवैध थी तो शिंदे सरकार अवैध हुई।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था। हालांकि न्यायालय ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए कहा कि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने और फिर उत्पन्न राजनीतिक संकट से जुड़ी अनेक याचिकाओं पर सर्वसम्मति से दिए गए अपने फैसले में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना का सचेतक नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला अवैध था।