Uttarakhand news : 8 महीने पहले ही भू-वैज्ञानिकों ने दी थी तबाही की चेतावनी, 2020 में जारी की थी रिसर्च की रिपोर्ट

अवनीश कुमार

रविवार, 7 फ़रवरी 2021 (17:30 IST)
उत्तराखंड। उत्तराखंड में चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से जहां सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है तो वहीं उत्तराखंड को काफी क्षति भी पहुंची है, लेकिन सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड के भू वैज्ञानिकों ने करीब 8 महीने पहले ही ऐसी आपदा को लेकर अल्टीमेटम देते हुए आगाह भी किया था।
ALSO READ: Uttarakhand : उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से UP में हाईअलर्ट, गंगा तटों पर बसे लोगों का पलायन शुरू
भू-वैज्ञानिकों की बात को नजरअंदाज करना आज उत्तराखंड को बेहद भारी पड़ गया है। सूत्रों की मानें तो देहरादून में स्थित वाडिया भू-वैज्ञानिक संस्थान के वैज्ञानिकों ने 2020 जून-जुलाई के महीने में एक अध्ययन के जरिए जम्मू-कश्मीर के काराकोरम समेत संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियरों द्वारा नदियों के प्रवाह को रोकने और उससे बनने वाली झील के खतरों को लेकर चेतावनी जारी की थी।
ALSO READ: जनता पूछती क्‍यों नहीं सरकारों से कि आपके घोषणा पत्रों में पहाड़, जंगल और नदियों का संरक्षण शामिल है या नहीं?
2019 में क्षेत्र में ग्लेशियर से नदियों के प्रवाह को रोकने संबंधी शोध आइस डैम, आउटबस्ट फ्लड एंड मूवमेंट हेट्रोजेनिटी ऑफ ग्लैशियर में सेटेलाइट इमेजरी, डिजीटल मॉडल, ब्रिटिशकालीन दस्तावेज, क्षेत्रीय अध्ययन की मदद से वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट जारी की थी।

इस दौरान इस इलाके में कुल 146 लेक आउटबस्ट की घटनाओं का पता लगाकर उसकी विवेचना की गई थी।शोध में पाया गया था कि हिमालय क्षेत्र की लगभग सभी घाटियों में स्थित ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।
 गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से तबाही मची हुई है।
ALSO READ: हिमखंड के टूटने से भीषण बाढ़ से 150 श्रमिकों की मौत की आशंका, राष्ट्रपति ने जताई चिंता
राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक का तंत्र राहत एवं बचाव कार्य में लगा हुआ है। सबकी पहली कोशिश है कि जान-माल के नुकसान को कम से कम किया जाए। एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एयरफोर्स की टीम लगातार काम कर रही है।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी