उन्होंने कहा कि अखबारों के पास समाज को प्रभावित करने की ताकत है जिसे उसे लोगों के व्यापक हित के लिए बुद्धमतापूर्वक करना चाहिए। मातृभाषा के उपयोग की जोरदार पैरवी करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आंध्रप्रदेश के एक विद्यालय में पढ़ने के बावजूद वह वर्तमान हैसियत तक पहुंचे, जहां पढ़ाई का माध्यम तेलुगू था।