Water crisis in Delhi deepens in scorching heat : सर्दी का मौसम जैसे ही गर्मी में तब्दील होता है दिल्ली के संगम विहार में रहने वाली ओम लता का डर बढ़ने लगता है। टैंकर से पानी लेने के लिए अपनी जगह को बरकरार रखने की कशमकश अकसर विवाद में तब्दील हो जाती है। यह कहानी सिर्फ लता की ही नहीं, बल्कि आज दिल्ली के हजारों लोगों की है, जो भारी जल संकट से जूझ रहे हैं।
दिल्ली के कई इलाकों में रहने वाले लोग सिर्फ भीषण गर्मी से ही नहीं, बल्कि गंभीर जल संकट से जूझने के लिए भी मजबूर हैं। संगम विहार के एल ब्लॉक में रहने वाली लता जल संकट की गंभीरता पर जोर देते हुए यह बताती हैं कि कैसे उन्हें पीने, खाना पकाने और साफ-सफाई के लिए भी पानी खरीदना पड़ता है। उन्होंने सवाल किया कि कैसे एक परिवार इन परिस्थतियों में गुजर-बसर कर सकता है।
लता ने कहा, हमें हर साल इन समस्याओं से जूझना पड़ता है। गर्मी का ख्याल हमें डराता है क्योंकि हमारे पास पीने के लिए पानी तक नहीं होता। जब भी टैंकर आता है तब कतारों में खड़े लोग पानी के लिए लड़ते हैं क्योंकि सभी को अपने परिवारों के लिए पानी चाहिए। लता जलसंकट की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहती हैं, हम गंदा पानी तक नहीं फेंकते हैं।
लता की ही तरह गीता कॉलोनी के रहने वाले गजेन्द्र प्रताप भी जलसंकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली को कई वर्षों से इस मुद्दे ने जकड़ रखा है और गर्मी शुरू होते ही पानी की कमी शुरू हो जाती है। गजेन्द्र ने कहा कि दिल्ली सरकार पानी के टैंकरों से जल आपूर्ति कर रही है, इसके बावजूद मांग पूरी नहीं हो पा रही है और लोगों को खाली हाथ घर लौटना पड़ता है।
उन्होंने कहा, टैंकर सुबह सात बजे आता है और साढ़े सात बजे तक खाली हो जाता है। गर्मी की छुट्टियों के कारण स्कूल बंद हैं और बच्चे भी घर पर हैं। हर चीज के लिए पानी की जरूरत है....आप पानी के बिना कैसे कुछ कर सकते हैं? गजेन्द्र ने कहा कि जो लोग नियमित रूप से खाना तक नहीं जुटा पाते वे पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं।
पानी के एक टैंकर के लिए तीन हजार रुपए का भुगतान करना होता है और भुगतान के बाद भी लोगों को पानी के लिए घंटों का इंतजार करना पड़ता है। राष्ट्रीय राजधानी में पानी की कमी की समस्या है और दिल्ली सरकार ने हरियाणा पर दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं छोड़ने का आरोप लगाया है। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली में पानी की कमी एक 'अस्तित्व संबंधी समस्या' बन गई है।
न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश सरकार को राष्ट्रीय राजधानी और हरियाणा को 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश दिया है ताकि पानी का प्रवाह सुगम हो सके। इससे पहले, शुक्रवार को दिल्ली की जल मंत्री आतिशी वजीराबाद बैराज पहुंचीं और मौजूदा स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि अगर हिमाचल प्रदेश पानी छोड़ भी दे तो भी पानी की कमी दूर नहीं होगी क्योंकि हरियाणा ने राष्ट्रीय राजधानी का हिस्सा 'घटा' दिया है।
आतिशी ने आरोप लगाया, हरियाणा उच्चतम न्यायालय के पीठ पीछे दिल्ली के लोगों के खिलाफ साजिश कर रहा है। उन्होंने कहा, वजीराबाद में यमुना का जलस्तर दो जून को 671 फुट से घटकर शुक्रवार को 669.7 फुट हो गया। अगर जलस्तर इतना कम हो गया है तो जलशोधन संयंत्र दिल्ली के लोगों को पानी कैसे उपलब्ध कराएंगे? (भाषा)
Edited By : Chetan Gour