नीरव मोदी की याचिका खारिज करते हुए ब्रिटिश हाईकोर्ट ने कहा कि नीरव का प्रत्यर्पण किसी भी दृष्टि से अन्यायपूर्ण या दमनकारी नहीं होगा। भारत लंबे समय से मोदी का प्रत्यर्पण चाहता है, लेकिन अदालती पेचों के चलते उसका प्रत्यर्पण अब तक संभव नहीं हो पाया था।
इससे पहले मोदी के वकीलों द्वारा कोर्ट में कहा गया था कि वो डिप्रेशन का शिकार है और भारत में जेलों की जो स्थिति है, उसे देखते हुए वह वहां सुसाइड कर सकता है। हालांकि अब अदालत ने मोदी के सभी तर्कों को नकारते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया है।
हालांकि इस फैसले के खिलाफ नीरव मोदी सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। इसके लिए उसे 14 दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी होगी। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई उस स्थिति में हो सकती है जब हाई कोर्ट की तरफ से यह कहा गया हो कि याचिका जनहित वाली है। हालांकि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है।