कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को आरोप लगाया कि राजभवन की निगरानी की जा रही है और इस कदम से संस्था की शुचिता कम हो रही है। इस आरोप से राज्यपाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पहले ही चल रहे तनावपूर्ण रिश्ते और खराब होने की आशंका है।
विभिन्न मुद्दों को लेकर बीते 1 वर्ष में राज्य की तृणमूल कांग्रेस की सरकार के साथ चल रही खींचतान के बीच धनखड़ ने यह दावा किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में अराजकता का माहौल है। राज्यपाल के आरोप पर बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि निगरानी की ऐसी हरकत गुजरात के उनके आका के कार्यक्षेत्र में आती है।
धनखड़ ने प्रेस वार्ता में कहा कि मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि राजभवन निगरानी में है। इससे राजभवन की शुचिता कम होती है। मैं इसकी पवित्रता की रक्षा के लिए सब कुछ करूंगा। उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले में गंभीर और अहम जांच शुरू की है। राजभवन के कामकाज की शुचिता को बरकरार रखना होगा। धनखड़ ने हालांकि यह नहीं बताया कि राजभवन की किस तरह की निगरानी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि संवैधानिक नियमों के तहत मैं किसी भी निगरानी का पीड़ित नहीं बनूंगा, चाहे इसकी कोई भी रूपरेखा हो। जिन्होंने यह किया है, उन्हें कानून के तहत इसकी कीमत चुकानी होगी। मेरी आंतरिक जांच जल्द पूरी हो जाएगी। राज्यपाल ने गोपनीय दस्तावेज लीक होने के बारे में भी बात की। हालांकि धनखड़ के इस दावे पर राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
हालांकि निगरानी के उनके दावे पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद और प्रवक्ता महुआ मित्रा ने कहा कि अंकलजी अब दावा करते हैं कि वे और राजभवन परिसर निगरानी में हैं। मेरी बात पर यकीन कीजिए कि गुजरात के आपके आका किसी भी अन्य से कहीं ज्यादा अच्छी तरह यह काम करते हैं, हम में से तो कोई भी इसके लिए नौसिखिया होगा।
राज्यपाल ने अपने आधिकारिक आवास राजभवन में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित पांरपरिक एट होम पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों के नहीं आने पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से 35 से कम गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया गया था।
धनखड़ ने कहा कि यह मेरे लिए बहुत दुखद है। मैं मुख्यमंत्री के जरिए राज्य सरकार से लगातार संवाद कर रहा था और उन्हें बार-बार बताया कि कार्यक्रम कोविड-19 नियमों का सख्ती से पालन करने एवं न्यूनतम मेहमानों के साथ आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को उचित श्रद्धांजलि देने का अवसर होता, अगर मुख्यमंत्री और कार्यपालिका के सदस्य शामिल होते। इसने बुरी मिसाल कायम की है।
गौरतबल है कि शनिवार सुबह स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित आधिकारिक कार्यक्रम संपन्न होने के बाद मुख्यमंत्री ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की थी, लेकिन वे एट होम में शामिल नहीं हुईं। राज्यपाल के इस दावे का खंडन करते हुए मोइत्रा ने ट्विटर पर एक दस्तावेज साझा किया जिसके अनुसार राजभवन में 96 लोगों को निमंत्रित किया गया था।
उन्होंने ट्वीट किया कि अंकल, कृपया पूरी सच्चाई सामने रखिए, माननीय मुख्यमंत्री चाय पार्टी से पहले राजभवन गई थीं और वहां आपके साथ 1 घंटे तक रहीं। 1 साल पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभालने के बाद से राज्य की ममता बनर्जी सरकार के साथ उत्पन्न कई गतिरोधों का हवाला देते हुए धनखड़ ने कहा कि यह लोकतंत्र या आजादी के संकेत नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि जब वे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत विधानसभा गए तो दरवाजों पर ताले लगा दिए गए, जब वे विश्वविद्यालय में गए तो कुलपति के चैंबर में ताला लगा था जबकि वे वहां के पदेन कुलाधिपति हैं। राज्यपाल ने कहा कि संविधान दिवस के दिन उन्हें 6ठे स्थान पर संबोधन के लिए बुलाया गया। उन्होंने कहा कि मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि संविधान के प्रति सम्मान का भाव आए।
धनखड़ ने कहा कि मेरे लिए 15 अगस्त दुखी करने वाला एक और दिन रहा। राष्ट्रीय ध्वज फहराने को लेकर राजनीतिक हिंसा और हत्या के मामले सामने आए। हम अराजकता की स्थिति में हैं। स्थिति पहले ही चेतावनी के स्तर तक चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का संवैधानिक अधिकार है कि वह राज्य में होने वाली घटनाओं को जाने और यह मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह उन्हें यह जानकारी दे।
धनखड़ ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन सत्तारूढ़ पार्टी के विरोधियों की गतिविधियों को रोकने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं और उन्हें इस तरह से धमकी दी जा रही है कि कोई भी हिल जाए। (भाषा)