पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने एसएससी-2016 शिक्षक भर्ती पैनल को रद्द कर दिया। इस तरह करीब 26 हजार शिक्षकों की नौकरी चली गई है। कोर्ट के फैसले के बाद ममता बनर्जी ने विशेष बैठक की। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि मैं कानून के बारे में ज्यादा नहीं जानती लेकिन कोर्ट का सम्मान करते हुए मैं कहना चाहती हूं कि मैं फैसले को स्वीकार नहीं कर सकती।
क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को गुरुवार को अमान्य करार देते हुए उनकी चयन प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण करार दिया। इस फैसले को ममता सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने नियुक्तियों को रद्द करने संबंधी कलकत्ता उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल 2024 के फैसले को बरकरार रखा। फैसला सुनाते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जिन कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द की गई हैं, उन्हें अपना वेतन और अन्य भत्ते वापस करने की जरूरत नहीं है।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू करने और इसे तीन महीने के भीतर पूरा करने का भी आदेश दिया। हालांकि, न्यायालय ने दिव्यांग कर्मचारियों को मानवीय आधार पर छूट देते हुए कहा कि वे नौकरी में बने रहेंगे।
भाजपा ने मांगा इस्तीफा
केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री और बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तो ममता का इस्तीफा ही मांग लिया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि इस पूरी भर्ती प्रक्रिया की जिम्मेदार सीएम ममता बनर्जी रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया है कि ममता बनर्जी के शासन में मेरिटधारी युवाओं के साथ धांधली की गई है। ऐसा पैसों के बदले हुआ है। पैसों के बदले में फर्जी भर्ती कर ली गई है।’डोला सेन बोलीं- अदालत के फैसले का सम्मान, पर कराएंगे जांचइसके आगे उन्होंने लिखा कि ममता बनर्जी ने न सिर्फ योग्य उम्मीदवारों के साथ धोखाधड़ी की है बल्कि उनके परिवारों को भी धोखा दिया है। Edited by: Sudhir Sharma