इंटरनेट के माध्यम से किसी को धमकाना, प्रताड़ित करना, ब्लेकमेलिंग करना, पीछा करना, अश्लील सामग्री जैसे टैक्स्ट मैसेज, फोटो, ऑडियो वीडियो आदि भेजना साइबर बुलिंग (Cyber Bullying) की श्रेणी में आता है। डिजिटल वर्ल्ड के विस्तार और इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के कारण पिछले कुछ सालों से इस तरह की घटनाएं भी ज्यादा सामने आ रही हैं। ऐसे में हर किसी को सावधान रहने की जरूरत है।
कैनेडियन शिक्षक बिल बेल्सी ने सबसे पहले साइबर बुलिंग शब्द का प्रयोग किया था। इसका मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाना है। साइबर बुलिंग से जुड़े अपराधों को मोबाइल फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से अंजाम दिया जाता है।
साइबर बुलिंग से जुड़े मामलों में आईटी एक्ट (IT Act) के साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं में भी सजा का प्रावधान है। पहचान चोरी करना या गोपनीयता भंग करने के मामले में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (संशोधित) 2008 (Information Technology Act (Amended) 2008) की धारा 43, धारा 66-सी, धारा 66-ई, आईपीसी की धारा 419 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इस तरह के मामले में 3 साल तक की जेल और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।