नेक्रोसस्पर्मिया, जिसे मेडिकल भाषा में नेक्रोस्पर्मिया भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुषों के ताजा वीर्य के नमूनों में मृत शुक्राणु पाए जाते हैं। नेक्रोस्पर्मिया एक दुर्लभ स्थिति है, जो केवल 0.2% से 0.5% बांझ पुरुषों को प्रभावित करती है। इसी बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉ. हृषिकेश पाई। डॉ. पाई मुंबई के लीलावती अस्पताल में स्त्री रोग एवं बांझपन विशेषज्ञ हैं।
नेक्रोस्पर्मिया समस्याओं का वर्गीकरण:
मध्यम : 50 से 80 प्रतिशत मृत शुक्राणु
गंभीर : 80% से अधिक मृत शुक्राणु
नेक्रोस्पर्मिया का सटीक निदान इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान है।
नेक्रोसस्पर्मिया के कारण
उत्पादक पथ में संक्रमण
हार्मोनल असंतुलन
रीढ़ की हड्डी में चोट
असामान्य शरीर का तापमान
टेस्टिक्युलर कर्करोग
कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी
वृषण समस्याएं
लंबे समय तक यौन संयम
एंटी स्पर्म एंटीबॉडी
एपिडीडिमिक कि समस्या
तनाव की दवाएं और अति मद्यपान
नेक्रोसस्पर्मिया का निदान करने के लिए, कुछ परीक्षण से गुजरने आवश्यकता होती है-
ईओसिन परीक्षण
हाइपो-ऑस्मोटिक फ्लैगेला कोइलिंग टेस्ट
स्पेशलाइज्ड स्पर्म फंक्शन टेस्ट
पुरुष हार्मोन परीक्षण
गुणसूत्र विश्लेषण
अक्सर नेक्रोसस्पर्मिया और ओस्टियोज़ोस्पर्मिया के बीच मे भ्रम हो जाता है, ओस्टियोज़ोस्पर्मिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शुक्राणु स्थिर होते हैं, लेकिन मृत नहीं होते। ओस्टियोज़ोस्पर्मिया का इलाज करना आसान है, क्योंकि हाइपोस्मोटिक सूजन परीक्षण जैसे परिष्कृत परीक्षणों का उपयोग करके जीवित शुक्राणु की पहचान करने के बाद आईसीएसआई किया जा सकता है।
इसलिए, इन दोनों स्थितियों के उचित निदान और उपचार प्राप्त करने के लिए अपने डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा एक और समस्या यह है कि कभी-कभी नेक्रोसस्पर्मिया स्थिति का गलत पॉजिटिव निदान किया जा सकता है। ये गलत निदान निम्नलिखित परीक्षणों के दौरान किए गए भूल के चलते हो सकता है-
जब शुक्राणुओं को शुक्राणुनाशक क्रीम के साथ लेपित कंडोम में संचित किया जाता है। जब शुक्राणु जीवाणुरहित कंटेनरों में संचित किए जाते हैं। शुक्राणु को इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला स्नेहक एंटीसेप्टिक होने से सभी शुक्राणु नष्ट हो जाते हैं।
गलत निदान से बचने के लिए क्या करें?
वीर्य विश्लेषण के लिए शुक्राणु के नमूने एकत्र करने के लिए एक विशेष गैर विषैले सिलास्टिक कंडोम का उपयोग करना सुविधाजनक होगा।
यदि वीर्य विश्लेषण परीक्षण में नेक्रोसस्पर्मिया का निदान हुआ है, तो इसे एक प्रतिष्ठित प्रयोगशाला द्वारा फिर से जांचा जाना चाहिए।
जीवित शुक्राणु और मृत शुक्राणु की सही पहचान करने के लिए प्रयोगशाला तकनीशियन अनुभवी होना चाहिए।
तकनीशियन इओसिन-नेग्रोसिन जैसे विशेष सुप्राविटल दागों का उपयोग करके परिक्षण सफल कर सकते हैं। .
ये परीक्षण सटीक करना जरुरी होता हैं, इसलिए निदान को सत्यापित करने के लिए एंड्रोलॉजी लैब एक महत्वपूर्ण स्थान है।
पहले वीर्य के 1 घंटे बाद दूसरे वीर्य का नमूना लिया जाता है। यदि पहले नमूने में कोई जीवित शुक्राणु नहीं पाया जाता है, तो दुसरे वीर्य नमुना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह वीर्य ताजा होता है इसलिए दूसरे नमूने में जीवित शुक्राणु होते हैं।
शुक्राणु के पेलेट का परीक्षण करने के लिए वीर्य के नमूने को प्रयोगशाला में सेंट्रीफ्यूज करने की आवश्यकता होती है।
इसके उपचार विकल्प क्या हैं?
जब नेक्रोसस्पर्मिया का निदान किया जाता है, तो पहले समस्या के सटीक कारण की पहचान की जानी चाहिए। किसी भी प्रकार के संक्रमण को एंटीबायोटिक दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, अगर नेक्रोसस्पर्मिया ड्रग के दुरुपयोग के कारण होता है, तो डॉक्टर ड्रग व्यसनमुक्ति उपचार लिख सकते हैं।
नेक्रोसस्पर्मिया वाले लोगों में गर्भावस्था की दर कम होती है। आईसीएसआई गर्भवती होने की इस संभावनाओं में सुधार कर सकता है। टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन (टीईएसई-आईसीएसआई) के साथ आईवीएफ नेक्रोसस्पर्मिया के लिए सबसे अच्छा उपचार विकल्प है। इस प्रक्रिया के दौरान, आपका डॉक्टर आपको अंडकोष को सुन्न करने के लिए एनेस्थीसिया देगा, फिर ऊतक की एक छोटी मात्रा को निकलने के लिए अंडकोष में एक सुई डाली जाती है।
कभी-कभी वीर्य स्खलन में जीवित शुक्राणु कोशिका नहीं पाया जाता है, परंतु अंडकोष में वे मिल सकते है। ये शुक्राणु स्वयं अंडे में प्रवेश और निषेचित नहीं कर सकते हैं। इसलिए आईसीएसआई के साथ आईवीएफ जरूरी है। यहां, आपका डॉक्टर सीधे शुक्राणु के साथ अंडे को इंजेक्ट करेगा। नेक्रोसस्पर्मिया पर TESE-ICSI के साथ, सफलता दर अधिक है। इसके अलावा, यदि उपरोक्त सभी प्रजनन उपचार विफल हो जाते हैं, तो शुक्राणु दाता या अन्य पारिवारिक विकल्प पर विचार करना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।