क्या है शिमला समझौता? पाकिस्तान के कदम से क्या होगा दोनों देशों पर असर

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025 (08:35 IST)
What is the Shimla Agreement: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल समझौते निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी एक्शन लेते हुए भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित कर दिया। इन समझौतों में शिमला समझौता भी शामिल है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद 2 जुलाई 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें नियंत्रण रेखा के प्रति सम्मान, सैन्य वापसी और शांति प्रतिबद्धताओं पर जोर दिया गया था। 
 
कैसे अस्तित्व में आया शिमला समझौता : भारत ने सैन्य हस्तक्षेप के जरिए मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर दिया था और दुनिया के नक्शे में बांग्लादेश के नाम से एक नए राष्ट्र का उदय हुआ था। इस युद्ध के दौरान पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली थी। पाकिस्तान की सेना ने बांग्लादेश में भारत की सेना के सामने हथियार डाल दिए थे। तब भारत ने करीब 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों बंदी बना लिया था। इसके साथ ही भारत ने पश्चिमी पाकिस्तान के करीब 5000 वर्गमील इलाके पर भी कब्जा जमा लिया था। ALSO READ: सिंधु नदी के 10 रोचक तथ्य, पाकिस्तान के सिंध प्रांत को क्या कहते थे पहले?
 
क्या था शिमला समझौते का उद्देश्य : भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध के करीब 16 महीने बाद हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो शिमला में मिले। दोनों नेताओं ने 2 जुलाई 1972 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसी समझौते को शिमला समझौते के नाम से जाना जाता है। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों द्वारा अपने मतभेदों का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों और बातचीत के जरिए करना था।  ALSO READ: Pahalgam Terror Attack : सिंधु जल संधि खत्म होने से कैसे बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान?
 
क्या है शिमला समझौते में : इस समझौते के जरिए दोनों देशों ने तय किया था कि वे किसी भी विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाएंगे। इसमें कोई तीसरा देश या संगठन हस्तक्षेप नहीं करेगा। कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा को कोई भी देश एकतरफा नहीं बदलेगा। दोनों ही देश इस रेखा का सम्मान करेंगे। इस समझौते में दोनों ही देशों ने कहा था कि वे एक-दूसरे के खिलाफ हिंसा, युद्ध या गलत प्रचार नहीं करेंगे। दोनों शांति से रहेंगे और अपने रिश्तों को बेहतर बनाएंगे। हालांकि पाकिस्तान कभी भी इस समझौते पर खरा नहीं उतरा। उसने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन किया साथ ही कश्मीर मुद्दे को भी अंतरराष्ट्रीय मंचों से उठाता रहा है। आने वाले समय में वह कश्मीर मामले में तीसरे पक्ष की भी मांग कर सकता है। इसके चलते दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका है। 
 
इस समझौते के तहत ही भारत ने भारत ने युद्धबंदी बनाए गए पाकिस्तान के करीब 90 हजार सैनिकों को रिहा कर दिया था और कब्जा की गई जमीन को भी छोड़ दिया था। बदले में पाकिस्तान ने भी कुछ भारतीय सैनिकों को रिहा किया था। कश्मीर मुद्दे पर भारत की हमेशा से ही दलील रही है कि यह मामला भारत और पाकिस्तान के बीच का है, लेकिन पाक इसे बार-बार अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उठाता रहा है। 
 
क्या है पाकिस्तान का रुख : पाकिस्तान ने कहा कि सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी के प्रवाह को रोकने या परिवर्तित करने का कोई भी प्रयास युद्ध छेड़ने के समान माना जाएगा। इसके साथ ही उसने पहलगाम हमले के मद्देनजर देश के खिलाफ नई दिल्ली की ओर से उठाए गए कदमों के जवाब में भारत के साथ व्यापार, शिमला समझौते समेत सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित करने और हवाई क्षेत्रों को बंद करने की घोषणा की। पाकिस्तान ने दक्षेस वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत भारतीय नागरिकों को जारी सभी वीजा भी निलंबित कर दिए हैं। हालांकि सिख तीर्थयात्रियों को इसमें छूट दी गई है। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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