सात दिनों में यहां पूजा और व्यास जी के तहखाने में प्रवेश के लिए सारी तैयारी पूरी हो जाएगी
ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट से हिंदू पक्ष को पूजा की अनुमति मिल गई है
इसी जगह साल 1993 तक हिंदू पक्ष के लोग पूजा-अर्चना करते थे
Gyanvapi News: ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट से हिंदू पक्ष को पूजा की अनुमति मिल गई है। इस फैसले के बाद पूरे देश की निगाहें इस मामले की तरफ हो गई है। अब सारा मीडिया वाराणसी पर नजरें गढाए बैठा है। आने वाले दिनों में इसे लेकर काफी हलचल देखने को मिल सकती है।
हालांकि शुरुआती फैसले में ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट से पूजा की अनुमति मिलने पर हिंदू पक्ष में खुशी है। अब यहां स्थित व्यास का तहखाना में पूजा हो सकेगी। जानते हैं आखिर क्या है व्यास का तहखाना और क्यों साल 1993 से ही यहां एंट्री बंद थी।
तहखाने में एंट्री की तैयारी : बता दें कि कोर्ट के फैसले के बाद अगले सात दिनों में यहां पूजा और व्यास जी के तहखाने में प्रवेश के लिए सारी तैयारी पूरी हो जाएगी। इस पर अभी से योजना बनाने का काम शुरू हो गया है। इससे पहले बुधवार रात कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने के लिए तहखाने में जिला प्रशासन और वकीलों की उपस्थिति में पूजा अर्चना की गई। गुरुवार सुबह 3 बजे से ही मौके पर बड़ी संख्या में लोग व्यास के तहखाने में जाने और पूजा करने के लिए खड़े हैं।
क्या है व्यास जी का तहखाना : दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भगवान नंदी हैं। नंदी जी के सामने व्यास का तहखाना है। इसी जगह साल 1993 तक हिंदू पक्ष के लोग पूजा-अर्चना करते थे। विवाद के चलते नवंबर 1993 में राज्य सरकार ने पूजा बंद करवा दी थी। उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी। फिलहाल 31 सालों से इसमें किसी को जाने की अनुमति नहीं है। हाल ही में कोर्ट के निर्देश के बाद एएसआई ने यहां सर्वे किया था। इस सर्वे रिपोर्ट के बाद ही व्यास के तहखाने में अदालत ने पूजा की अनुमति दी है।
दो चरणों में बनी मस्जिद : सर्वे रिपोर्ट के बाद व्यास के तहखाने में साफ-सफाई की गई है। एएसआई ने यह रिपोर्ट अदालत के समक्ष जमा करवाई है। जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया है कि यहां पुराने ढांचे के ऊपर ही मस्जिद को बनाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार इस मस्जिद को दो चरणों में बनाया गया है। जिसमें पहले पश्चिमी दिशा में गुंबद और मीनार बने। फिर आगे का निर्माण किया गया।
Edited by Navin Rangiyal