Kamalnath news in hindi : लोकसभा चुनाव से पहले दिग्गज कांग्रेस नेता कमलनाथ का भाजपा में जाना लगभग तय माना जा रहा है। बेटे नकुल नाथ समेत कई कमलनाथ समर्थकों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल से कांग्रेस हटा दिया है। हालांकि कमलनाथ ने फिलहाल कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है और कांग्रेस नेताओं को भी भरोसा है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के शीर्ष नेता कहीं नहीं जा रहे हैं।
कांग्रेस से क्यों नाराज हैं कमलनाथ : छिंदवाड़ा से 9 बार सांसद रहे कमलनाथ इन दिनों कांग्रेस से खासे नाराज हैं। कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार का ठीकरा जिस तरह उनके सिर फोड़ा गया इससे वे नाराज हैं। पहले उन्हें विधानसभा अध्यक्ष नहीं बनाया गया। उन्हें इसके बाद उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। बाद में राज्यसभा चुनाव में भी उनकी अनदेखी गई। पार्टी में लगातार हो रही अवहेलना ही उनकी नाराजगी की वजह है।
कमलनाथ के जाने से कांग्रेस को क्या नुकसान : अगर कमलनाथ भाजपा में चले जाते हैं तो इससे मध्यप्रदेश में कांग्रेस के बिखरने का खतरा है। आगामी लोकसभा चुनाव में इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। राज्य में कांग्रेस को नए सिरे से जमावट करनी होगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद से ही कांग्रेस की राजनीति कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के इर्दगिर्द ही रही है। अब यहां बड़े नेता के रूप में केवल दिग्विजयसिंह ही नजर आएंगे।
इंदिरा मानती थीं तीसरा बेटा : कमलनाथ ने राजनीति में कदम 1980 में रखा जब इंदिरा गांधी ने उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए छिंदवाड़ा भेजा। इंदिरा गांधी उन्हें अपना 'तीसरा बेटा' मानती थीं। साल 1979 में कमलनाथ ने मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबला करने में कांग्रेस की मदद की थी। वे 1980 में 7वीं लोकसभा के लिए चुने गए।
उन्हें 16वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर चुना गया। वे मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से 9 बार संसद सदस्य चुने गए। वे लगातार 1985, 1989 और 1991 में लोकसभा के लिए चुने गए और उन्हें यूनियन काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स में जगह मिली। उन्हें पर्यावरण और वन मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।
कमलनाथ 1995 से 1996 तक केंद्र सरकार में कपड़ा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए। कमलनाथ लगातार 1998 और 1999 में लोकसभा के लिए चुने गए। वे 2001 से 2004 तक कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे। 2004 में वे फिर 14वीं लोकसभा का चुनाव जीते और 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली।
2009 में वे 15वीं लोकसभा के लिए चुने गए और कैबिनेट मंत्री बनाए। इस बार उन्हें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। 2011 में उन्हें शहरी विकास मंत्री बनाया गया। 2012 में उन्हें संसदीय कार्य मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई।
कमलनाथ को दिसंबर 2012 में योजना आयोग का सदस्य भी बनाया गया। कमलनाथ मैनेजमेंट टैक्नोलॉजी (आईएमटी) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी रहे। उन्हें मई 2018 में मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। कमलनाथ दिसंबर 2018 से मार्च 2020 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।
कमलनाथ का व्यक्तिगत जीवन : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में 18 नवंबर 1946 में हुआ। उनकी स्कूली शिक्षा दून स्कूल से हुई। उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी के सेंट जेवियर कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान वे दून स्कूल में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के साथ भी रहे।
कमलनाथ के पिता का नाम महेंद्रनाथ और माता का लीला है। उनकी पत्नी का नाम अलका नाथ है। कमलनाथ की दो संतानें नकुलनाथ और बकुलनाथ हैं।