थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी। अक्टूबर में यह शून्य से 0.52 प्रतिशत नीचे थी। आखिरी बार मार्च में यह सकारात्मक दायरे में रही थी, तब यह 1.41 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, 'नवंबर, 2023 में मुद्रास्फीति मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, खनिजों, मशीनरी व उपकरण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक व ऑप्टिकल उत्पादों, मोटर वाहनों, अन्य परिवहन उपकरणों और अन्य विनिर्माण वस्तुओं आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण सकारात्मक दायरे में रही।'
खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति नवंबर में 8.18 प्रतिशत रही, जो अक्टूबर में 2.53 प्रतिशत थी। प्याज में मूल्यवृद्धि की वार्षिक दर नवंबर में बढ़कर 101.24 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 62.60 प्रतिशत थी।
घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और खुदरा बाजार में कीमतों पर अंकुश के लिए सरकार ने पिछले सप्ताह अगले साल मार्च तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सब्जियों की मुद्रास्फीति 10.44 प्रतिशत रही, जो अक्टूबर में शून्य से नीचे 21.04 प्रतिशत थी।
बार्कलेज रिसर्च के अनुसार, थोक खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी खुदरा कीमतों की तुलना में अधिक रहीं। यह दर्शाता है कि थोक विक्रेताओं ने मूल्यवृद्धि का पूरा बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाला। इसके चलते दिसंबर में आपूर्ति (विशेष रूप से सब्जियों की) नहीं बढ़ी तो खुदरा खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर तीन महीने के उच्चस्तर 5.55 प्रतिशत पर पहुंच गई। (भाषा)