भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की दौड़ से शिवराज क्यों बाहर?

विकास सिंह
मंगलवार, 4 जून 2019 (10:24 IST)
भोपाल। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के मोदी सरकार में गृहमंत्री बनने के बाद अब पार्टी का नया अध्यक्ष कौन होगा यह सवाल बना हुआ है। नए अध्यक्ष के नाम को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है। अब तक अध्यक्ष पद की दौड़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा चुनाव में यूपी के प्रभारी रहे जेपी नड्डा का नाम सबसे आगे है।
 
नड्डा को मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने के बाद इसकी संभावना और बढ़ गई है। वहीं नए अध्यक्ष के लिए पार्टी नेता भूपेंद्र यादव और रामलाल के नाम की भी चर्चा  है। लेकिन अब तक अध्यक्ष पद के लिए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम नहीं आना भी सियासी गालियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
 
अगर बात करें शिवराज सिंह चौहान के सियासी कद की तो शिवराज की नाम अध्यक्ष पद के अन्य सभी दावेदारों पर भारी पड़ता है। मध्य प्रदेश में 13 सालों से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज लोकसभा चुनाव में एक दर्जन से अधिक राज्यों में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया। इसके साथ ही शिवराज पार्टी के एक लोकप्रिय और सर्वमान्य चेहरा है। पांच बार लोकसभा सांसद रह चुके शिवराज पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर रहते हुए अपने नेत्तृव क्षमता को लोहा मनवा चुके है।
 
साल 2000 से 2003 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम करते हुए उन्होंने संगठन को पूरे देश में सक्रिय बनाया। पिछले साल दिसंबर में हुए लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में भाजपा की हार के बाद जनवरी में जब शिवराज को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया तो इस बात की चर्चा जोर शोर से होने लगी थी कि क्या शिवराज अब एक बार फिर केंद्र की राजनीति में सक्रिय होंगे। वहीं दूसरी ओर शिवराज बराबर इस बात को सिरे खारिज करते आए हैं कि वो केंद्र की राजनीति में जाएंगे।
 
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की रेस में शामिल नहीं होने के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर कहते हैं कि अगर देखा जाए तो आज पार्टी के अंदर अध्यक्ष पद के लिए अगर सबसे स्वीकार्य नाम किसी का है तो वह शिवराज सिंह चौहान का ही है लेकिन जब विधानसभा चुनाव में हार के बाद शिवराज को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया तो उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के सामने मध्य प्रदेश की राजनीति में रहने की इच्छा व्यक्त कर दी थी।
 
शुरुआती तौर पर केंद्रीय हाईकमान ने इसकी सहमति नहीं दी और लोकसभा चुनाव में उनको गुजरात सहित अलग अलग राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए भेजा गया लेकिन चुनाव के आखिरी दौर तक आते आते पार्टी हाईकमान ने ही शिवराज को पूरी तरह से मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी दे दी। जिसको बाखूबी निभाते हुए शिवराज ने मध्य प्रदेश में करीब 200 छोटी बड़ी चुनावी रैलियां की जिसका परिणाम चुनाव नतीजों में भी दिखाई दिया औ भाजपा की सीट 26 से बढ़कर 28 हो गई।
 
गिरिजाशंकर कहते हैं कि बदले सियासी समीकरण को देखकर लगता हैं कि अब शिवराज पूरी तरह से मध्य प्रदेश की राजनीति में ही रहेंगे जिसके लिए हाईकमान भी अब सहमत दिखता है और इन्हीं कारणों से उनका नाम अध्यक्ष पद के लिए नहीं चल रहा है। वहीं भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इस सवाल पर गिरिजाशंकर साफ कहते हैं कि आज की स्थिति में एक बात तो तय हैं कि भाजपा का नया अध्यक्ष जो भी बनेगा वह मोदी और शाह के यस मैन की तरह काम करेगा जिससे की अप्रत्यक्ष तरीके से पार्टी पर उनका नियंत्रण बना रहा। 

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