लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में मचे घमासान के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच जारी शह-मात के खेल में कौन किस पर भारी पड़ेगा। यूपी की सियासत में शनिवार और रविवार को दिन काफी अहम माना जा रहा है। इसकी वजह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक का दिल्ली में मौजूद होना है। दिलचस्प बात यह है कि सभी बड़े नेता एक साथ नहीं ब्लकि अलग-अलग दिल्ली पहुंचे है और पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात कर रहे है।
योगी को मिलेगा मोदी-संघ का समर्थन?-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दिल्ली दौरे के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ भी मुलाकात कर सकते है। अब सवाल यही है कि योगी आदित्यनाथ जिन्होंने 2017 में संघ के समर्थन से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की थी उनके समर्थन में अब भी क्या संघ पूरी तह मजबूती के साथ खड़ा होता है। संघ की हिंदुत्व की राजनीति के बड़े ध्वजावाहक योगी आदित्यनाथ ने कई ऐसे फैसले किए जिसको संघ ने अपना पूरी समर्थन दिया है।
इससे पहले शुक्रवार को दिल्ली पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मुलाकात की। यूपी की राजनीति में डेढ़ घंटे चली इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीएल संतोष को उपचुनाव की तैयारियों के साथ लोकसभा चुनाव को लेकर एक रिपोर्ट भी सौंपी। वहीं आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर सकते है। 2017 के बाद जिस तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन मिला है वह क्या अब लोकसभा चुनाव के बाद बदले हालात में ंभी जारी रहेगा, यह बड़ा सवाल है।
कौन पड़ेगा किस पर भारी?- उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच जारी सियासी घमासान के बीच कौन किस पर भारी पड़ेगा यह बड़ा सवाल है। लखनऊ में हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में यूपी भाजपा के इन दो दिग्गज नेताओं के बीच जिस तरह से सियासी तलवारें खिंची उसके बाद दोनों ही नेता शक्ति प्रदर्शन में जुट गए है।
गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना दल (कमेरावादी) की नेता और 2022 में सिराथू विधानसभा सीट से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हराने वाले पल्लवी पटेल से मुलाकात कर सियासी पारे को और गर्मा दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पल्लवी पटेल की मुलाकात को भले ही सौजन्य मुलाकात बताया जा रहा हो लेकिन इस मुलाकात से योगी आदित्यनाथ ने एक तीर से कई निशानें साध लिए। दरअसल 2022 का विधानसभा चुनाव सपा के साथ गठबंधन में लड़ने वाली पल्लवी पटेल लोकसभा चुनाव ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ा था, ऐसे में अब उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले योगी और पल्लवी की मुलाकात ने नए सियासी समीकरण बनने की संभावना तेज कर दी है।
पल्लवी पटेल अगर भाजपा के साथ आती है तो उपचुनाव में सपा और कांग्रेस की मुश्किलें तो बढ़ेगी, खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के लिए बड़ा झटका होगा। पल्लवी पटेल को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की धुर विऱोधी के तौर पर देखा जाता है, ऐसे में मुख्यमंज्ञी योगी आदित्यनाथ से उनकी मुलाकात ने मौर्य खेमे को बड़ा झटका दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच टकराव कोई नया नहीं है। 2017 में जब भाजपा प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी तब संगठन की कमान केशव प्रसाद मौर्य के पास थी लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर योगी आदित्यनाथ ने अपना कब्जा जमा लिया था। इसको लेकर केशव प्रसाद मौर्य ने कई मौकों पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया। इतना ही नहीं सरकार में अपनी हनक बनाए रखने के लिए योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच टकराव की खबरें दिल्ली तक पहुंची।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद भले ही केशव प्रसाद मौर्य और उनके गुट के नेता 2027 के विधानसभा चुनाव को टारगेट कर रहे है लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव (2022) में केशव प्रसाद मौर्य जब अपनी ही सीट सिराथू हार गए तो उनके समर्थकों ने आरोप लगाया कि मौर्य को जानबूझकर हराया गया है। हलांकि विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक कद में कोई कमी नहीं आई और उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया।